आज हम अपने आराध्य भगवान् शिव बाल रूप श्री बटुक भैरवनाथ जी की साधना के बारे में बात करेंगे, हम यह भी देख रहे की वर्तमान समय में बाबा बटुकनाथ के साधक बढ़ रहे है दिन प्रतिदिन संख्या बढ़ रही, जब की पहले की बात करें तो बहुत कम ही लोग इनकी साधना में लिप्त होते थे, पर ये बात जैसे जैसे सबको ज्ञात होती जा रही कोई बहुत कठिन नियम नहीं है और इनसे पूरा ब्रह्माण्ड डरता है इसी लिए इन्हें बज्रपाणि कहते है । और यदि ये प्रसन्न हो जायें तो नव ग्रह का भी प्रभाव नहीं चलता, पर इनकी साधना पहले लोग क्यों करने से डरते थे ? वो भी हम बतायेंगे क्यों की आज का हमारा विषय भी यही है । बाबा श्रीबटुकभैरवनाथ बाल रूप है और इन्हें अत्यन्त क्रोधी देवता के रूम में जाना जाता है यही बात प्रचलन में रही है इसी लिए लोग इनकी साधना उपासना से डरते थे और एक सूक्ति भी है - "छड़े रुष्टा छड़े तुष्टा रुष्टा तुष्टा छड़े छड़े" ये ऐसी लाइन है जो एक मात्र बटुक भैरव के लिए है "छड़ में नाराज होते है और छड़ में प्रशन्न होते है " छड़ में राजा बनाने की क्षमता और छड़ में भिखारी बनाने की क्षमता किसी में नहीं है । वो मात्र बटुकनाथ में है" तो इन शब्दों के साथ हम बाबा की नियमा वाली पे आगे बढ़ते है, हम ये बता दें जितना हमने देखा है बटुकनात जैसा देवता नहीं , इनकी पूजा बहुत ही सरल है ये अपने भक्त पे कभी क्रोधित नहीं होते बल्कि क्रोधित ये उसपे होते है जो बाबा के भक्त को कष्ट देता है । उसको ब्रह्माण्ड में कोई बचा नहीं सकता । बाबा की पूजा में सावधानी :-
1. श्री बटुक भैरव या 64 भैरव की साधना बिना गुरु के न करें, गुरु भी वो हो जिसने बटुक साधना की हो । यदि आपके पास किसी गुरु से शिव या बटुक दीक्षा है तो और भी अच्छा है । बटुक साधना के दो प्रकार है , एक मांसाहार के साथ होती है और एक शाकाहार के साथ। यह निर्भर करता है कि जिस गुरु के माध्यम से आप साधना कर रहे वो किस विधि का है । जो साधनात्मक मार्ग गुरु का हो वही ले के चलना श्रेयष्कर है ।
2. इनकी पूजा यदि आपने प्रारम्भ कर दिए है तो कभी बन्द न करें, अन्यथा जितना आपने बटुक साधना से पाया है वो सब क्षीण हो जायेगा और दुबारा फिर बटुक साधना में स्थान पाना न के बराबर हो जाता है । इस लिये बटुक साधना प्रारम्भ करने के बाद न छोड़ें ।
3. बाबा की उपासना के साथ भगवान् शिव और 10 महाविद्या को छोड़ और किसी देवी देवता की उपासना न करें यदि और किसी देवी देवता की उपासना करते है। और उसमें कोई विघ्न आरहा तो उस पूजा के विघ्न शान्ति के लिए बटुक उपासना कर सकते है, पर वो बटुक साधना में नहीं ली जायेगी ।
4. बटुक साधना में रुद्राक्ष या काले हकीक की माला का ही प्रयोग होता है, आसान ऊन का या मृग चर्म हो ऊन का है तो सफेद और पीला न हो साधक जिस माला और आसन का प्रयोग करता है उसको अलग रखे उसको किसी से साझा न करे ।
5. बटुक साधना में दक्षिण दिशा सबसे ज्यादा प्रभाव शाली होती है । साधना का दीपक और साधक का मुख दक्षिण होने से साधना का प्रभाव ज्यादा होता है । वैसे आप किसी भी दिशा में पूजा कर सकते है, पश्चिम छोड़कर ।
6. साधक को साधना काल में काला, लाल, गेरुआ और नीला वस्त्र ही धारण करना चाहिए ।
7. साधक को न किसी का वस्त्र धारण करना चाहिए और न अपना देना चाहिए ।
8. बिना भोग लगाये किसी भी खाद्य सामग्री का सेवन न करें , इस बात को भगवान् आदि शंकराचार्य जी ने भी कहा है कि मनुष्य को बिना भोग लगाये भोजन नहीं करना चाहिए । उन्हों ने कहा पशु के सामने यदि भोजन रखा जाता है तो खाने लगता है , और हमारे सामने भोजन दिया जाय हम भी खाने लगे तो कैसे सिद्ध होगा की हम मनुष्य है, भगवान् आदि शंकर ने कहा कि हमें उस परमात्मा को धन्यवाद देना चाहिए और और उन्हें मन से समर्पित करना चाहिए और आज्ञा मांगनी चाहिए की इसे ग्रहण करने की आज्ञा दें ।
9. लिङ्ग पुराण में लिखा है कि शिव के किसी भी रूप की सेवा यदि कर रहे हैं तो, बिना भस्म और रुद्राक्ष के नहीं करना चाहिए अन्यथा फल कम हो जाता है ।
10. यदि आप बटुकभैरव सिद्धि के लिए साधना कर रहे तो किसी भैरव पीठ पे करें या त्रिकोण शिला स्थापित करें उसी पे सम्यक प्रकार से सेवा और साधना करें । पर ध्यान रखें भैरव जी का विसर्जन नहीं होता इस बात को ध्यान रख के ही शिला या मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए अन्यथा नहीं करनी चाहिए चित्र पे पूजन करें । आगे अपने गुरु से सम्पर्क करें ।
11. श्री बटुक भैरव जी के लिए कौन सा दिन खास है और क्या प्रसाद चढ़ा सकते है :- वैसे तो सातों दिन बाबा की पूजा में खास और अपनी भूमिका रखते है पर रविवार, मंगलवार खास है । बाबा को सभी प्रकार के अन्न का भोग लगता है फीका भोजन नहीं पसन्द है। इनके भोग में लहशुन प्याज गाजर का कोई परहेज नहीं है । मिष्ठान में - सभी पसन्द है पर कालाजाम और बेसन का लड्डू खास है। फल में भी सभी पसन्द उसमें अनार खास है । फूल में सभी फूल पसंद है केतकी का छोड़ के । बाबा का मदिरा खास भोग माना जाता है। मदिरा सदैव अपनी क्षमता के अनुसार ही चढ़ाना चाहिए । विशेष - शिव जी और भैरव जी को कभी केवड़े का फूल या केवड़ा मिली खाद्य सामग्री न चढ़ायें और केवड़े के जल से छिड़काव न करे ये श्रापित है । इससे आपकी समस्त पूजा का नाश हो जायेगा ।
जय बटुक भैरवनाथ
जय बटुक भैरवनाथ
1. Sadhna of lord Batuk Bhairav or 64 Bhairav should not be done without a guru(holy teacher) and the guru himself should be the one who has done his sadhna, it is better if you have deeksha of lord Batuk Bhairav or Shiva from a guru. Batuk Bhairav sadhna is done by following 2 paths one is non vegetarian and other is vegetarian, it depends on what is the path followed by your guru. If one follows same path as his guru then it is beneficial.
2. Once you have started worshiping him then never stop it , else whatever you have gained with his blessings will be destroyed and it will become nearly impossible to please him again.
3. While worshiping him don't worship any other deity except lord Shiva and 10 Mahavidyas.
4. In Batuk sadhna the string of prayer beads should be made of 'Rudraksha' or 'black Hakik'. The holy mat(Asan) should be made of wool or deer skin. If it is of wool then it should not be of yellow or white color and neither the prayer beads nor the Asan should be shared with anyone.
5. In Batuk sadhna the South direction for worshiping is considered as most auspicious, the face of dia and the sadhak in South direction is considered to be most effective although you can worship in any direction except West.
6. During the period of sadhna a sadhak is supposed to wear black,red,orange and blue clothes only. 7. Sadhak should neither wear clothes of anyone nor he should lend his to others.
8. One should not eat anything without offering it to Lord. It is also illustrated by Adi Shankaracharya ji that " if food is kept in front of an animal he immediately starts eating it and if we do the same then what is the difference between human and animals" " we should thank the god for providing us the food and we should offer it to him in our mind and then ask permission to eat it.
9. The Ling puran quotes " if one is worshiping lord Shiva in any of his incarnations then Bhasm(ash) and Rudraksha are necessary, without them the blessings are reduced.
10. If you are doing sadhna of Batuk Bhairav then perform it in Bhairav temple or have your own triangle linga and worship it whole heartedly. One must also note that the Lord Bhairav not drown in water i.e one can't do his visarjan. Only after Keeping this fact in mind one should keep his linga or statue else he should worship on a photo. For further steps one should contact his guru.
11. Now let us know which day is auspicious for lord Batuk Bhairav and what type of food (Bhog) should be offered: commonly every day is auspicious for his worship but Sunday and Tuesday have the utmost importance. All sorts of food can be offered to him but it is known that he doesn't like light tasting stuffs.
Sweets: all sweets can be offered but Kalajam and Besan Ladoo are his favourite.
Fruits: all fruits are admired by our deity but among them Pomegranate has its own importance.
Flowers: all flowers can be offered except Pandanus Odorifer (Kewda ) .
Liquor is the special offering for lord Bhairav. The amount of liquor offered depend on ones own wish.
Note: Lord Shiva and Lord Bhairav should never be offered fruits, flowers of Pandanus Odorifer (Kewda) or something mixed with it not even the water of this flower should be sprinkled on him because this plant is cursed and offering any of its products will destroy all your worship.
Jay Batukbhairavnath.