भगवान शिव की आराधना बहुत ही दुर्लभ साधना है । ये बहुत ही दयालु देवता है भक्तवत्सल है , अपने भक्तों का कष्ट देख नहीं पाते इनकी उपासना अत्यन्त सरल है और जल्द ही प्रसन्न होने वाले देवता है वैदिक मन्त्र से बहुत ही जल्द प्रसन्न होते है , इसी लिए रुद्राभिषेक कर भगवान को प्रशन्न किया जाता है । पर आज कल जिस प्रकार रुद्राभिषेक हो रहे ये अरिष्ट कारक है वेद मन्त्र से छेड़ छाड़ किया जा रहा तो वह देव वास नहीं प्रेत वास को बुलावा देना है । क्यों की अमृत और विष दो ही रूप है , लोगों में भ्रांतियाँ है कि जो ब्राह्मण करेगा वह ही जाने पर यह आपकी भूल है यदि अच्छा होगा तो आपको मिलेगा बुरा होगा तो ब्राह्मण को ये गलत है । बुरा भी आपको मिलेगा अच्छा भी आपको इस लिए रुद्राभिषेक जितनी बड़ी और शुभ पूजा है उतनी ही घातक भी है । इस लिए न करें वो ठीक है पर वेद पाठी ब्राह्मण से ही पूजन करायें । एक भ्रान्ति और है कि भगवान शिव को बाहर रखो घर में नहीं यह भी गलत है , धूल मिट्टी सब पड़ रही पेड़ के नीचे या खुले में रख दिया है धूप तप रही और जानवर आ के सूंघ रहे कुत्ते पेसाब भी कर दे रहे । तो आपको बता दे जिसने इस प्रकार किया है वह समस्त सुख से वंचित रहता है जो ब्राह्मण ये करवाता है वो दलिद्र ही रहता है । शिवलिङ्ग घर में रख सकते है ऐसा कोई प्रमाण नहीं है ,, और उनका विधि से पूजन करें और भोग लगायें , भगवान शिव इतने दयालु है कि इनकी उपासना में न किसी पण्डित की जरूरत है न किसी नियम की ये भाव के भूखे है सामान के नही यथा शक्ति जो आपके पास है उससे इनकी नियमित आराधना करें , उपासना स्वयं करें । समस्त सुख आपके पास होंगे किसी भी प्रकार की भ्रान्ति हो तो हमें email या टिप्पड़ी कर सकते है ।। आगे के लेख में हम बताएंगे त्रिपुण्ड और रुद्राक्ष की महिमा ।