Sunday, 29 April 2018

रुद्राक्ष महात्म्य १

आज हम रुद्राक्ष के विषय में वार्ता करते है । रुद्राक्ष बहुत ही लाभ कारी फल का नाम है जिसका नाम लेते ही एक अलग से अनुभूति होती है क्यों की रुद्राक्ष साक्षात शिव का मूल तत्व है और भूत भगवान भूतनाथ भोलेनाथ को अत्यन्त प्रिय है । आज के बाद हम कुछ दिन तक रुद्राक्ष पे ही लेख डालेंगे जिससे सभी को इस अमृत रूपी फल के बारे में ज्ञान हो सके । शैव, शाक्त एवं नाथ सम्प्रदाय में इस फल का सबसे बड़ा स्थान है और शैव और नाथ में तो बिना रुद्राक्ष के आपकी पूजा उपासना या साधना का कोई फल ही नहीं होता । रुद्राक्ष से जितना ज़्यादा जप करना अवस्यक है उतना ही रुद्राक्ष को धारण करना अवस्यक है । लिंग पुराण में तो स्पष्ट कहा गया है की जो शिव भक्त रुद्राक्ष नहीं धारण करता वह मूर्ख है उसकी पूजा का फल ही नहीं होता । श्री बटुक भैरव सहित ६४ भैरव की उपासना में भी यह नियम लगेगा की बिना रुद्राक्ष धारण किये पूजा न करें क्यों की भैरव रूप साक्षात् शिव ही है ।इस लिये रुद्राक्ष अवस्य धारण करें। कुछ लोगों से हमने सुना है की कहते है की स्त्रियों को रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए तो ये ग़लत है स्त्रियों को भी धारण करना चाहिए बस इतना ध्यान रहे रजोधर्म से पूर्व उतार दें पाँच दिन के लिये । और स्त्रियों के साथ ही साथ सभी को कब रुद्राक्ष उतारना चाहिये । रात्रि में शयन करते समय उतार देना चाहिये , घरमें स्नान के समय उतार देना चाहिये, मल त्याग करते समय उतार देना चाहिये, जन्मा और मरणा सूतक़ में भी उतार देना चाहिये।