Wednesday, 1 May 2019

सियार सिंघी को सिद्ध करने का तरीका

आज मैं आपको तन्त्र के एक प्रयोग रूपी सामग्री या वस्तु जो भी कहें उसके तरफ लेके चलता हूँ । जिसका नाम सियार सिंघी है । लोग इसको लेकर बहुत ही जिज्ञासु रहते हैं की आखिर ये है क्या और इसका प्रयोग क्या है ? इससे होता क्या है ? हमारे श्री बटुक जी के कुछ साधक भी इसके बारे में जिज्ञासु हुए की आखिर ये है क्या ? गूगल यू ट्यूब पर बहुतायत की मात्रा में लेख और चल चित्र पड़े है। की इसके माध्यम से आप करोड़ पती या कहे धन पती हो जायेंगे । क्या यह सत्य है तो हमें इसके सन्दर्भ में जानकारी चाहिए । फिर हमने भी कुछ लेख और चलचित्र देखा की कुछ लोग कह रहे की 1 लाख दीजिये सिद्ध करके देता हूँ । सिद्धि का माध्यम बताता हूँ । सियार के सर से निकाल के आपको देता हूँ वीडियो काल पे आप रहना आपके सामने सियार के सर से निकाल के सिद्ध करके आपको देता हूँ । सुन के बहुत दुख हुआ की इतना तुच्छता पे मनुष्य आ गया है तन्त्र का त भी नहीं आता और सीधे सिद्धि की बात कर रहे । सियार सिंघी मिल भी जाए तो इस प्रकार का प्रयोग करके आप कभी सिद्धि नहीं पा सकते और कभी किसी साधना सिद्धि का व्यापार नहीं होता वह स्वयं के प्रयोग के लिए होती है । बेंचने या बांटने के लिए नहीं । अब हम अपने विषय पे चलते है । विषय था सियार सिंघी तो सियार सिंघी शब्द से प्रतीत होता है की सींघ की बात हो रही जब की सियार के तो सींघ होती नहीं फिर किस सींघ की बात हो रही तो सियार के मस्तक के बीच में जहाँ और पशुओं के सींघ होती है उसके मध्य का भाग जो होता है वहाँ सियार सिंघी होती है जिसे सियार के मृत्यु के पश्चात निकाली जाती है । और इसमें सींघ होती है चालव के बराबर जिसे कुछ लोग दाँत भी कहते है । इसी कारण इसे सियार सिंघी कहते हैं । यह स्वेत या काले रंग की होती है या दोनों रंग भी हो सकती है । पर यह बहुत दुर्लभ चीज है ।
इसके लाभ, हानि  और नियम -
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● जिस भी कार्य या वस्तु की इच्छा है उसको साधक के तरफ   आकर्षित करती है ।
● जिस देवता को आप आराध्य मानते है उनका जप इसके समीप करें ये स्वतः सिद्ध हो जायेगी ।
● ध्यान दें देवता वैष्णव नहीं हो या आपके गुरु का जो आदेश उसके अनुसार करें । हमारे अनुसार 10 विद्या, श्री बटुक भैरवनाथ, 64 भैरव में कोई भी या शिव के समीप ही ये क्रिया करना श्रेयस्कर होगा ।
● स्पष्ट रूप से जान लें यह एक तान्त्रिक क्रिया है ।
● एक छोटी सी त्रुटि आपको लाभ से हानि के तरफ ले जाएगी ।
● जब यह मिले तो किसी भी भैरव या देवी के मन्दिर एक बार जरूर लेकर जायें क्यों की इसके साथ बाधायें भी आ सकती है ।
● एक बार यह सिद्ध हो गई तो आपके लिए कवच बन जाती है ।
● ऐसा भी नहीं है की सिद्ध होने के बाद स्वतः कार्य करेगी इसके लिए आपको अपने आराध्य की सेवा जप निरन्तर करते रहना है । तभी ये और शक्ति शाली बनेगी ।
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किसी भी दूरी को शीघ्र तय करने के लिए जिस प्रकार एक अच्छे वाहन का होना अनिवार्य है। उतना ही अनिवार्य होता है उसको चलाने वाला । इसी लिए सियार सिंघी वह वाहन का कार्य करेगी और आप को चालक बनना है । इष्ट की अभीष्ट भक्ति और जो भी कार्य करते है उसमे तन मन से जुटिये ।
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सियार सिंघी को किस प्रकार सिद्ध करके रखें
★ सियार सिंघी पे थोड़ा सा पवित्र जल लेकर अभिसिंचित कर दें । ध्यान रहे स्नान नही कराना ।
★ सर्व प्रथम एक पत्र लें अष्टधातु में किसी भी धातु का पत्र हो प्लेट या कटोरी की आकृति का उसमें भारी वाला सिंदूर रख दें ।
उसके बाद एक दीपक जला दें और उसके बाद सिंदूर पे सियार सिंघी विराजमान करें । उसके बाद धूपबत्ती से धूप दिखायें इसके बाद इत्र लगी रुई को सियार सिंघी के ऊपर फैला दें ।
फिर इस पात्र को किसी उच्च स्थान पे रख दें । जहाँ सबकी दृष्टि और हाँथ न पहुंचे । और स्थान वह हो जहाँ मध्य रात्रि में पूजन होता हो, फिर जब कोई भी महीने की भैरवाष्टमी आयेगी उससे अमावस्या तक का समय उस पूजन स्थल पर रहने से ये सिद्ध हो जाती है । इतना ध्यान रहे की यदि यह सिद्ध न हुई तो प्रेत सम्बंधित शक्तियाँ वहाँ स्थान बना लेती है । तो उस घर में धन हानि होगी । परिवार में कहल रहेगा । यदि लड़कियां व्याही गई तो वो अपने ससुराल में जा के भी परेशान रहेंगी । हम कह सकते है की उस सियार सिंघी को जो रखता है वो जिसको अत्यधिक मानता है उसके ऊपर भी इसका प्रभाव पड़ता है । इस प्रकार कई संकट आ सकते है । इस लिए साधना सिध्दि पे तन मन दोनों को लगा के ही करें । यदि साधक इस साधना को सही से कर ले गये तो इस प्रकार के समस्त सुख स्वतः आपकी तरफ माध्यम बन कर आने लगेंगे।
जय श्रीबटुकभैरवनाथ