आधुनिकता ने सब कुछ बदल दिया है
हमारे स्वभाव और पहनावे तो बदले ही थे हमारी संस्कृति ही बदल गई, वैसे समय के अनुसार बदलना भी चाहिए परिवर्तन ही आगे ले जाता है प्रत्येक 10 साल में बदलाव आता रहता है, इतिहास भी इसका साक्षी है । शिक्षा का अस्तर भी बढ़ता ही जा रहा आंग्लभाषा ( अंग्रेजी ) का प्रचलन बहुत ही तीव्रता से आगे बढ़ रहा अच्छा भी है, क्यों की अधिकाधिक देशों में अंग्रेजी का ही प्रचलन है यदि हमें आगे बढ़ाना है तो
अंग्रेजी पे ध्यान देना होगा, अपितु अपनी संस्कृति से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए संस्कृति ही हमें हमारे आदर्श और विश्व में भारतीय होने का गौरव प्रदान करती है, और संस्कृति का आध्यात्मिक महत्व भी है, क्यों कि हमारे ऋषि महर्षि ने इसी आधार पर बनाया था। हमारे पूर्वज जन्मदिन पे देव पूजन करते थे मन्दिरों में दीप दान करते थे, अखण्ड ज्योति जलाते थे यह मान्यता थी कि दीपक से निर्विघ्मनता और सतत् आयु की प्राप्ति होगी, आज हम जन्म दिन में केक काटते है केक काटने में कोई बुराई नहीं है वह एक प्रकार का मिष्ठान ही है, अपितु हम उसपर मोमबत्ती जला कर बुझा देते है यह बहुत ही अशुभ संकेत है हिन्दू धर्म के अनुसार हमारे धर्म में दो ही दिन होते है शुभ और अशुभ शुभ दिन में हम दीपक प्रज्वलित करते है और मृत्यु होने पे दीपक को बुझा देते है, अग्नि का कारक सूर्य है और भगवान् सूर्य प्रगति और ऊर्जा के प्रदाता है वही ज्योतिष में सूर्य से भगवान् शिव से जोड़ा जाता है भगवान् शिव आयु के मूल देवता है, हम अपने बच्चे या रिस्ते की आभा से क्यों खिलवाड़ करते है, हमें शुभ दिनों में और दीप दान करना चाहिए माता पिता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना , गरीबो को असहायों की मदत करनी चाहिए और भगवान् शिव का दर्शन अभिषेक और दीप दान करना चाहिए मैं फिर कहता हूँ मैं केक काटने को नहीं रोक रहा आप काटिये और उत्सव मनाइये पर अपनी संस्कृति के साथ एक दीपक जलाकर बुझाकर नहीं , जय विश्वनाथ । जय भोलेनाथ । जय बटुक भैरवनाथ
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