Wednesday, 9 May 2018

रुद्राक्ष महात्म्य-३ - असली - नक़ली में भेद और रुद्राक्ष भद्राक्ष में अन्तर

अभी तक हमने जाना कि रुद्राक्ष क्या है, अब आगे बढ़ते क्रम में जानें कि रुद्राक्ष मिल जाये तो कैसे जानें की असली है या नक़ली है और किस रुद्राक्ष को धारण करें किसे नहीं । 
शास्त्रों के आधार पे आँवले के आकर का रुद्राक्ष सर्वोपरि होता है और उससे छोटा मध्य होता है और सूखे चने के आकर से छोटा अधम होता है । इस लिए बहुत छोटा रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिये । इसके बाद जो रुद्राक्ष धारण करना है उसे देखिये की कही कीड़े तो नहीं खाए है । अब आप सोचेंगे की किस प्रकार पहचाने तो ध्यान दे जो रुद्राक्ष की आकृति बनी रहती है । उसके बीच बीच में क्या बारीक बारीक छेद है या उन्ही लकीरों में नोचा जैसा लग रहा तो उसे त्याग दें ऐसे रुद्राक्ष को धारण करने से शरीर को बहुत हानि होती है । उस रुद्राक्ष पे जप करने से धर्म हानि होती है । एक बात और बता दें कि रुद्राक्ष के मध्य एक छिद्र होता है जिसमें आप धागा या तार पिरो कर धारण करते है वह रुद्राक्ष का प्राकृतिक छिद्र है उसे ज़रूर होना चाहिये जिन रुद्राक्ष में मनुष्य छिद्र करे वह अधम है । देवी भागवत के आधार पे उसे त्याग दें । और जो रुद्राक्ष गोल नहीं होते उन्हें भी रुद्राक्ष की श्रेणी में न रखें जैसे आज कल एक काजू एक मुखी मिलता है वह भी किसी काम का नहीं वह पूर्णतया नक़ली है । शास्त्रों में एक से चौदह मुखी का वर्णन है इसके अतिरिक्त और भी मुख के रुद्राक्ष है जिनका वर्णन तो नहीं है पर उनके मुख के आधार पे उनको लिया जाता है । अभी इस लेख में हम इतना बता दें कि ये बहुत ही अधिक धन राशि में मिलते है इस लिए इनका नक़ली होने की भी अधिकाधिक सम्भावना रहती है इस लिए सवधानी पूर्वक लें  , आगे के लेख में मैं इनके मुख के बारे में बताऊँगा । अब असली की पहचान के लिए २ ताँबे का सिक्का ले और दोनों सिक्कों से दोनों रुद्राक्ष के छिद्रों को दबा लें यदि रुद्राक्ष घूम जाये तो वह असली है और उसमें ताक़त है ।कभी कभी असली होने पे भी नहीं घूमता तो इसका मतलब वह रुद्राक्ष नहीं भद्राक्ष है । आपको लग रहा होगा की भद्राक्ष यानी नक़ली ,  पर ऐसा नहीं है रुद्राक्ष के कच्चे फल को भद्राक्ष कहते है । भद्राक्ष का चूर्ण बनाकर आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है। रुद्राक्ष और भद्राक्ष को अलग करने की एक विधा और है इसे जल में डाल दें जो तैरे वह भद्राक्ष और जो डूब जाए वह रुद्राक्ष । एक सबसे बड़ी समस्या की बात अब बाज़ार में लकड़ी और प्लास्टिक का रुद्राक्ष मिल रहा जिसको ऐसा बनाते है की पानी में डूब जाता है । और सबसे मज़े की बात की बहुत सस्ता रहता है इस लिए किसी जानकार के द्वारा ही रुद्राक्ष प्राप्त करें ।

Wednesday, 2 May 2018

रुद्राक्ष महात्म्य २ " शिव है रुद्राक्ष के जन्म दाता

रुद्राक्ष को लेकर प्रत्येक व्यक्ति में एक शंका उत्पन्न होती है , कि इस लकड़ी जैसा बैर के बीज की आकृति के स्वरूप का फल इसमें ऐसा क्या है ? इसका इतना धार्मिक और आयुर्वेदिक महात्म्य क्यों है ? और सबसे अधिक की ये भगवान शिव और भैरव को इतना अधिक क्यों प्रिय है। ऐसा क्या है कि इसे धारण करने से शिव के सभी रूप प्रसन्न हो जाते है ? ऐसा क्यों है की बिना इसे धारण किये जो शिव और श्रीबटुक भैरव सहित किसी भी भैरव रूप की उपासना करता है उसका कोई फल नहीं होता ? तो इस प्रकार के अनगिनत प्रश्न उत्पन्न होंगे उस सबका एक उत्तर है । स्वयं भगवान रूद्र भूत भावन भोलेनाथ सदा शिव ही इस फल जन्म दाता है । उनके हज़ारों वर्ष की तपस्या के फल स्वरूप रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ । अब इसका प्रमाण क्या है ? ये प्रश्न उठ रहा होगा । तो प्रमाण तो कई ग्रन्थों के है हम उनमें से एक बताते है । बृहज्जाबालोपनिषद् में रुद्राक्ष की उत्पत्ति के विषय में वर्णन है की भुशुण्डी जी द्वारा कालाग्निरूद्र से रुद्राक्ष की उत्पत्ति व उसके धारण करने से क्या फल होता है के विषय में पूँछा । तब भगवान कालाग्नि रूद्र बोले की दिव्य सहस्र वर्षोंतक तपस्या करने के बाद जब मैंने त्रिपुरासुर को मारने कि लिए अपने नेत्र खोले तब मेरे नेत्र से जल की बूँदें पृथ्वी पर गिरीं । उन्ही नेत्र बूँदों से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई ।इस प्रकार रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ और भगवान शिव और बल शिव बटुक भैरव का प्रिय हुआ ।