Wednesday, 2 May 2018

रुद्राक्ष महात्म्य २ " शिव है रुद्राक्ष के जन्म दाता

रुद्राक्ष को लेकर प्रत्येक व्यक्ति में एक शंका उत्पन्न होती है , कि इस लकड़ी जैसा बैर के बीज की आकृति के स्वरूप का फल इसमें ऐसा क्या है ? इसका इतना धार्मिक और आयुर्वेदिक महात्म्य क्यों है ? और सबसे अधिक की ये भगवान शिव और भैरव को इतना अधिक क्यों प्रिय है। ऐसा क्या है कि इसे धारण करने से शिव के सभी रूप प्रसन्न हो जाते है ? ऐसा क्यों है की बिना इसे धारण किये जो शिव और श्रीबटुक भैरव सहित किसी भी भैरव रूप की उपासना करता है उसका कोई फल नहीं होता ? तो इस प्रकार के अनगिनत प्रश्न उत्पन्न होंगे उस सबका एक उत्तर है । स्वयं भगवान रूद्र भूत भावन भोलेनाथ सदा शिव ही इस फल जन्म दाता है । उनके हज़ारों वर्ष की तपस्या के फल स्वरूप रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ । अब इसका प्रमाण क्या है ? ये प्रश्न उठ रहा होगा । तो प्रमाण तो कई ग्रन्थों के है हम उनमें से एक बताते है । बृहज्जाबालोपनिषद् में रुद्राक्ष की उत्पत्ति के विषय में वर्णन है की भुशुण्डी जी द्वारा कालाग्निरूद्र से रुद्राक्ष की उत्पत्ति व उसके धारण करने से क्या फल होता है के विषय में पूँछा । तब भगवान कालाग्नि रूद्र बोले की दिव्य सहस्र वर्षोंतक तपस्या करने के बाद जब मैंने त्रिपुरासुर को मारने कि लिए अपने नेत्र खोले तब मेरे नेत्र से जल की बूँदें पृथ्वी पर गिरीं । उन्ही नेत्र बूँदों से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई ।इस प्रकार रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ और भगवान शिव और बल शिव बटुक भैरव का प्रिय हुआ ।

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