Tuesday, 5 June 2018

रुद्राक्ष महात्म्य 4 - रुद्राक्ष धारण करके मांस नही खा सकते

रुद्राक्ष धारण करने के बाद हमें क्या खाना चाहिए क्या नहीं इस विषय की ओर दृष्टि गोचर करते है -
            जैसा कि हम पहले ही जान चुके है कि रुद्राक्ष शिव के समस्त रूपों की उपासना में अत्यन्त लाभ प्रद है यहां तक कई स्थान पे प्रमाण मिलता है कि रुद्राक्ष धारण करने से ही शिव की पूर्ण दृष्टि हो जाती है और भक्त का कल्याण हो जाता है । तो बटुक भैरव रूप में भी इसी भाँति नियम चलते है । बस बात यहाँ आके रुक जाती है कि श्री बटुक उपासना साधना सिद्धि अत्यन्त दुर्लभ होती है हम कितना भी कुछ करते है पर कर कुछ नही पाते जब बाबा प्रसन्न हो जायें तो सब प्राप्त हो जाता है । तो बात सबसे बड़ी यह कि श्री बटुक साधना मार्ग में कई मार्ग है । मूल दो भाग दक्षिणा चारी और वामा चारी दक्षिण मार्ग सात्विक विचार पर आधारित है । और वाम मार्ग में सैद्धांतिक और कौल दो रूप है इसी लिए बाम मार्ग सबसे कठिन हो जाता है।  जैसा कि शिव पुराण में कहा है कि रुद्राक्ष धारण करने के बाद लहसन, प्याज, गाजर, मांस, मदिरा का सेवन नही करना चाहिए । और बामचारी तांत्रिक ग्रन्थ में सब कुछ खा सकते है तो हमारे मन में एक प्रश्न उठता है क्या सही है क्या गलत तो हम बता दें यदि आप सात्विक है तो आपको दक्षिण मार्ग का नियम धारण करना होगा और यदि आप बटुक साधक है तो रुद्राक्ष धारण करके मांस नहीं खा सकते और कोई रोक नही और अघोर मार्ग वालों को कोई रोक नही और वो सब करते है और कर सकते है । क्यों उस मार्ग में जो साधक प्रवेश करता है वह कुछ समय बाद अपने वस में नहीं रहता 500 से ज्यादा की प्रेत शक्तियाँ उसके वस में होती है और उस साधक को उन्ही के अनुसार चलना होता है। इस लिए वह शव तक को खा लेते है । इस विषय पे आगे हम बतायेंगे । और बटुक साधक अपने आराध्य को ध्यान में लेकर चलता है । और बाबा को फीका भोजन नही पसन्द मदिरा अत्यंत प्रिय है इस लिए यहां तक कोई अवरोध नही , कुछ स्थानों पे मांस का भी भोग लगता है पर इससे यह नही की आप रुद्राक्ष धारण करके मांस खायें । जो भी रुद्राक्ष पहन कर मांस सेवन करता है वह कितना भी पुण्य करले सब नष्ट हो जाता है उसका कोई भी फल नही होता और मृत्यु के पश्चात प्रेत योनि में जाना पड़ता है । वह कोई भी हो किसी के लिए क्षमा नही है । 
सब बातों का मूल यह निकला - कि जिस परम्परा से आप हो उसी के अनुसार रुद्राक्ष धारण करो । अपने मन से नही । जय विश्वनाथ जय बटुक भैरावनाथ

Sunday, 3 June 2018

अधिक श्री बटुकभैरव सप्ताह

अधिकमास अपने अन्तिम चरण की तरफ अग्रसर है और आ रहा है अधिक बटुक भैरव सप्ताह जिसमें भगवान शिव के समस्त रूपों का तान्त्रिक राजसिक सात्विक तीनों विधाओं से जप, पूजन,  नीराजन ,  श्रृंगार, रुद्राभिषेक, खास कर रात्रि का हवन , का विशेष फल मिलता है । यह सप्ताह 6 जून 2018 बुद्धवार श्रीमासिक भैरवाष्टमी से 12 जून 2018 भौमवार श्रीमासशिवरात्रि तक रहेगा । इसमें श्रीबटुक नाथ की पूजा का विशेष फल प्राप्त कर सकते है । सातों दिन श्रीबटुक भैरव प्रतिमा या कृष्णवर्ण शिवलिङ्ग पर अभिषेक करें तो श्रीबटुक भैरवनाथ अत्यंत प्रसन्न होंगे । किस सामग्री से क्या फल प्राप्त होता है । गंगा जल से समर्पण ।। मीठा दूध से कुटुम्ब सुख ।। घी प्रेतबाधा के लिए ।। दही रोग के लिए ।। गन्ने का रस ऐश्वर्य के लिए ।। चन्दन सौंदर्य के लिए ।। फल रस से पुत्र या पुत्री की के भविष्य और रक्षा के लिए ।। सरसों का तेल मारण सिद्धि के लिए।। मदिरा से समस्त कष्टों से छुटकारा पा कर श्री बटुक भैरवजी का वास और क्षाया पाने के लिये ( मदिरा अभिषेक मात्र श्री बटुक भैरव प्रतिमा पर ही होगा शिवलिङ्ग पर नहीं ) । चमेली के तेल समस्त मानसिक उत्कंठाओं से छुटकारा पाने के लिए ।। इतना ध्यान रहे यह प्राप्ति तब ही सम्भव है जब सातों दिन अभिषेक हो और हवन हो एवं मूल मन्त्र और अष्टोत्तर पाठ का अधिकाधिक जप और पाठ हो, इसके बाद बिल्वपत्र से राज्याभिषेक हो । ध्यान रहे एक चीज मैं देखता हूँ लोग सोमवार को ही बेलपत्र तोड़ कर चढ़ा देते है । ये आपके संकट हटायेगा नही बढ़ा देगा बेलपत्र कभी भी सोमवार भैरवाष्टमी और शिवरात्रि को नही तोड़ना चाहिए । पहले ही तोड़ लेना चाहिए । दूसरा सब चारो तरफ बहुत रुद्राभिषेक कराते है बहुत अच्छा है पर एक बात ध्यान रखें यदि जो विद् अपने बुलाया है उसके मन्त्र शुद्ध नही है मात्र भेष से ब्राह्मण है तो ऐसा रुद्राभिषेक विद् और जातक दोनों के दुःख का सबसे बड़ा कारक है । और जो हमने बताया है ये तो तांत्रिक विधा है इसमें खुद करिये तो गलत होने पर भी क्षमा है मूल मंत्र से ही अभिषेक कर डालिये । पर यदि विद् बुला के करना है तो मन्त्र शुद्धि जरूरी है साथ ही साथ वह शिव या बटुक भैरव का सेवक हो इस विषय का जानकार हो तभी उससे करायें अन्यथा नही । इसी लिए मैं सर्वदा एक बात बोलता हूँ बटुक भैरवसाधना स्वयं करें ।। क्यों कि तन्त्र बनाता भी है और बर्बाद भी करता है । फिर अपने बाबा बाल रूप है तो बच्चे जल्दी नाराज होते है । इस लिए बिना मार्गदर्शन के कुछ नही करना चाहिए । इस बटुकसाधक की ओर से सभी को जय विश्वनाथ जय बटुकनाथ। किसी भी प्रकार की शंका है या प्रश्न है तो शिव और बटुकसाधकों के लिए सदैव उपलब्ध हूँ  कोई शुल्क नही ।।