Sunday, 12 March 2017

होलिका दहन बटुक साधना का विशेष दिन है

तन्त्र में बटुक भैरव साधना का सर्वोच्च स्थान है और हर बड़े बड़े साधक की अपनी साधना प्रणाली है । पर मैं सबसे कुछ भिन्न और सरल रास्ता लेकर चलता हूँ । बाबा ने बहुत कुछ प्रदान किया और हमारी पूजा साधना श्रृंखला से जुड़े बहुतों को बाबा मित्र की भाँति साथ में जैसे कोई व्यक्ति चले ऐसे मदत करते है और अच्छे बुरे के बारे में बुद्धि परिवर्तित करने का संदेश देते है । इसी लिए मेरे प्राणनाथ बटुक भैरवनाथ श्री लाडले सरकार को हम सबसे बड़ा भक्त वत्सल कहते है । कुछ लोग मेरे बाबा को कहते है की ये क्रोधी है पर मैं इस बात को नहीं मानता क्यों की मेरे बाबा अपने भक्तों की रक्षा के लिए क्रोधित होते है भक्त पे नहीं । जैसे माँ अपने बच्चे को आँचल में रखती है उसी प्रकार मेरे बाबा अपनी निर्मल पारदर्शी कृपा क्षाया में अपने भक्त को अपने अवोस में ले लेते है कि वो उनके सिवा कुछ नहीं देख सकता । होली का समय है तन्त्र में होली को सिद्धि का तृतीय दिवस माना जाता है होलिका दहन की रात्रि को दारुण रात्रि ने नाम से कहा जाता है । मेरे बटुक साधक इस रात्रि में मूल मंत्र का जाप और अष्टोत्तरसत नाम का पाठ करे और महानिशा में हवन करें । विशेष हवन में होली में बनने वाले सारे पकवान और गुड़ ,घी , बिस्किट , फल , मेवा यही सब रहेगा इससे बाबा और करीब आएंगे । कुछ साधक बलि और मांस को सम्लित करते है बाबा की साधना में , मैं उन्हें कुछ नहीं कह रहा पर हमारे लाडले सरकार जी से जुड़े लोग मांस से दूर रहे । दारुण रात्रि एवं होली की हार्दिक शुभ कामनायें । जय बटुक भैरवनाथ , जय हो लडले सरकार आपकी जय हो।

कुण्डली में द्वादश भाव को कैसे जाने की कौन सा पहला घर या स्थान है कौन सा दूसरा

ज्योतिष सीखने के इच्छुक अभी तक जो हमने दिया आप उसे तैयार कर चके होंगे अब आप जाने कैसे जाने की कौन सा पहला स्थान है और कौन सा दूसरा तीसरा इस विषय को जनने के लिए सर्व प्रथम हम द्वादश भाव बनाते है अब इन बारह घरों को देखिये इसमें जहाँ लग्न लिखा है वह ही पहला स्थान है । इसी प्रकार रेखा के किनारे किनारे गिनते जायें तो आपको द्वादश भाव का क्रम ज्ञात हो जायेगा, प्रथम भाव या लग्न कुछ भी कह सकते है वहाँ कोई भी गिनती लिखी हो उस पर न जाइये कुछ लोग जो किताब से पढ़ते है वो गिनतियों के माध्यम से पहला दूसरा घर समझते है वो गलत है इसी लिए हमारी ये कामना है कि जो भी महानुभाव ज्योतिष में रूचि रखते है उन्हें इस विषय का ज्ञान हो। अब प्रथम भाव को देखें प्रत्येक कुंडली में यही प्रथम भाव होगा यह भी अपने मष्तिस्क में बैठा ले । अब अगेदेखें लग्न में जो भी गिनती लिखी है उसी को लग्न राशि कहते है ,   उसका स्वामी लग्नेश कहलाता है इसके पहले मैंने आपको बताया था कि राशि और उसके स्वामी तो वह  जो अंक लिखा है वहाँ पर  वह उस घर की लग्नराशि है उसी क्रम में आगे की राशि को अंकित करें , 12 भाव है 12 राशि है सब एक एक स्थान पर अंकित हो जायेंगी।
उदाहरण के लिए - दीहुई  कुण्डली देखिये जहाँ 4 लिखा है वह लग्न है उसके बाद 3 लिखा है वह 12वाँ घर है , जहाँ 8 लिखा है वह 5वाँ घर है इसी प्रकार प्रत्येक घरों को समझिये जो अंक जहाँ लिखे है वह उस राशि के स्वामी ग्रह का घर है वही उस घर का मालिक है जैसे इस कुंडली को देखें तो लग्न का मालिक चन्द्रमा है । क्यों की वहां 4 लिखा है 4 यानी कर्क राशि कर्क का स्वामी चन्द्रमा है । इसी प्रकार 5वाँ घर वहाँ 8 अंक है 8 का मतलब वृश्चिक स्वामी मङ्गल , मङ्गल पंचमेष कहा जायेगा इसी प्रकार प्रत्येक घर में अंकित राशि के स्वामी उस घर के स्वामी होंगे । यह याद नहीं करना दिमांक में बैठाना है, याद आपको यही करना है मात्र जो पहले दे चुका हूं , कौन सी राशि का क्या क्रम है और उसका स्वामी कौन है । क्यों की कुण्डली देखने में सबसे अहम भूमिका यही होती है कि किस घर में कौन सा अंक है फिर उसका स्वामी कौन है इस लिए ज्योतिष विषय में आगे बढ़ने के लिए इसे अवस्य तैयार करें । आगे जो आपके समझ में न आये आप पूंछ सकते है।