तन्त्र में बटुक भैरव साधना का सर्वोच्च स्थान है और हर बड़े बड़े साधक की अपनी साधना प्रणाली है । पर मैं सबसे कुछ भिन्न और सरल रास्ता लेकर चलता हूँ । बाबा ने बहुत कुछ प्रदान किया और हमारी पूजा साधना श्रृंखला से जुड़े बहुतों को बाबा मित्र की भाँति साथ में जैसे कोई व्यक्ति चले ऐसे मदत करते है और अच्छे बुरे के बारे में बुद्धि परिवर्तित करने का संदेश देते है । इसी लिए मेरे प्राणनाथ बटुक भैरवनाथ श्री लाडले सरकार को हम सबसे बड़ा भक्त वत्सल कहते है । कुछ लोग मेरे बाबा को कहते है की ये क्रोधी है पर मैं इस बात को नहीं मानता क्यों की मेरे बाबा अपने भक्तों की रक्षा के लिए क्रोधित होते है भक्त पे नहीं । जैसे माँ अपने बच्चे को आँचल में रखती है उसी प्रकार मेरे बाबा अपनी निर्मल पारदर्शी कृपा क्षाया में अपने भक्त को अपने अवोस में ले लेते है कि वो उनके सिवा कुछ नहीं देख सकता । होली का समय है तन्त्र में होली को सिद्धि का तृतीय दिवस माना जाता है होलिका दहन की रात्रि को दारुण रात्रि ने नाम से कहा जाता है । मेरे बटुक साधक इस रात्रि में मूल मंत्र का जाप और अष्टोत्तरसत नाम का पाठ करे और महानिशा में हवन करें । विशेष हवन में होली में बनने वाले सारे पकवान और गुड़ ,घी , बिस्किट , फल , मेवा यही सब रहेगा इससे बाबा और करीब आएंगे । कुछ साधक बलि और मांस को सम्लित करते है बाबा की साधना में , मैं उन्हें कुछ नहीं कह रहा पर हमारे लाडले सरकार जी से जुड़े लोग मांस से दूर रहे । दारुण रात्रि एवं होली की हार्दिक शुभ कामनायें । जय बटुक भैरवनाथ , जय हो लडले सरकार आपकी जय हो।
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