Friday, 11 January 2019

कर्णपिशाचिनी साधना

कर्णपिशाचिनी साधना से निमित्त मेरे पास बहुत लोग आते है की! मैं इनकी साधना करता हूँ या करना चाहता हूँ । कर्णपिशाचिनी के नाम से ही अर्थ स्पष्ट है की साधक के कान में एक पिशाचिनी देवी आकर बोलती है । और अगर वो प्रशन्न हो गई तो साधक द्वारा प्रदब्त प्रश्न को स्पष्ट रूप से बता देती है । बस बात इतनी है की ये भविष्य को छोड़ सब कुछ बताने में सक्षम होती है । अब ये कौन होती है उसके बारे में बताता हूँ । ये भगवती की अवतार 10 महा विद्या की उपासना करते हुए जो स्त्री साधक शरीर छोड़ देती है, या कहें किसी कारण वश वो अकाल मृत्यु के कारण शरीर छोड़ती है तो मृत्यु के बाद भी, उनकी साधना करती है क्यों की अकाल मृत्यु के कारण उसे मुक्ति नहीं मिलती तो माता रानी उसे अपनी प्रचारक या दासी बना लेती है । जो साधक भगवती की उपासना करते हुए इनकी उपासना करते है । उससे ये प्रशन्न हो जाती है और उसके पास चली जाती है । फिर वह इनके द्वारा चमत्कार दिखाता है और सबका बीता कल बताने में सक्षम हो जाता है । तो इनके माध्यम से वह ख्याति और धन का संचय करने लगता है । आप लोगों ने एक चीज पे ध्यान दिया होगा कुछ ज्योतिषी बने रहते है और आपका बीता कल जो भी व्यतीत हुआ उसके बारे में बता देते है की नाम क्या है क्या खाया आदि पर भविष्य नही बता सकते । ऐसे ही पूरे देश में बहुत से लोग इस मार्ग की चाह में साधना में लगे दिखते है। कर्णपिशाचिनी देवी के दश प्रकार होते है । 1 - श्मसान वासिनी, 2 - पर्वत वासिनी ,3- वन वासिनी, 4- वट्वृक्ष वासिनी, 5- बिल्ववृक्ष वासिनी, 6 - भागवत या पुराण कथा  स्थल , 7- मल मूत्र स्थान, 8- देवी मन्दिर , 9- मछली विक्रय स्थल,10- अष्टवीर स्थान । इनका कोई भी प्रकार हो सब ही अपने में शक्ति शाली होती है । जैसा की मैं सदैव कहता हूँ की बिना गुरु मार्ग दर्शन के तंत्र के किसी भी मार्ग का अनुशरण न करें । क्यों की आपके लिए मृत्यु तुल्य या मृत्यु दाई हो सकता है । इस साधना के लिए आपके गुरु जो मन्त्र दें वह मंत्र लेकर, अष्ट मुद्रा होती है उनको दिखाना होता है । श्मसान या एकान्त में 8000 मंत्र जप करना होता है । इससे 21 दिन में देवी सिद्ध होने लगती है । कुछ ग्रंथों में प्राप्त होता है की अगर साधक का कोई देवी देवता रक्षक नहीं है तो उसको अंत समय में अपने साथ लेके जाती है । इस लिए सभी साधको को हम एक सलाह दे रहे की बिना योग्य जानकर के इस साधना के तरफ न जायें, और यदि कोई जानकर मिल भी जाए तो बिना किसी देवी देवता की सिध्दि के बिना इस मार्ग पर न जायें । आपको एक बात और स्पष्ट बता दूं कि ऐसा मैं क्यों कह रहा कर्णपिशाचिनी बहुत ही अच्छी है पर यदि कोई देव रक्षक नहीं हुआ तो इनके साथ 500 प्रेत रहते है जो आपको परेशान भी करेंगे और साधना भी सिद्ध नहीं होने देंगे । और अगर आपने सब सही कर लिया फिर आगे भी सावधानी से करें, क्यों की जब ये आती है तो पूंछती है की आप हमें किस रूप में स्विकार करेंगे । 1- जननी (माता), 2- भगनी ( बहन),3 - भार्या (पत्नी) अब साधक इनको देख के मोहित हो उठता है क्यों की ये इतनी सुन्दर दिखती है की वैसा धरती पे कोई नारी दिख ही नहीं सकती, इसके कारण पिशाचिनी विवाह कर लेती है और प्रतिदिन रात्रि में वह साधक के पास आती है । अब इसमें डर ये है की साधक फिर विवाह नहीं कर सकता अगर विवाह हो चुका है तो अपनी पत्नी को छू भी नहीं सकता, अगर छुआ तो भगवान ही मालिक है । इस लिए हमारी राय है मातृ भाव से ही साधना करनी चाहिए । इसके अतिरिक्त कुछ नहीं, माता के भाव से करने पर वो आपका माता की तरह ध्यान रखेंगी । 

बहुत से साधक कहते है हम कई वर्षों से साधना कर रहे कुछ नहीं हो रहा । तो आपको बता दें आपके मार्ग में गलती है या आप साधना के भाव से नही मात्र स्वार्थ के बारे सोचते हो की जल्दी हो जाए मैं करोड़ पति बन जाऊं ऐसे साधकों की कभी कोई साधना सिद्ध नहीं होती । साधनायें सदैव भाव की भूंखी होती है । 

अब मैं अपने श्रीबटुकनाथ जी के साधकों को बता दूं यदि आप बाबा की पूजा किसी और साधना को करने के लिए कर रहे तो ये साधना आप कर सकते हो ।

और यदि आप अपना आराध्य श्रीबटुकभैरवनाथ जी को मानते हो तो आप इस प्रकार की कोई भी साधना नहीं कर सकते क्यों की बाबा अपनी उपासना साधना के साथ किसी की भी साधना उपासना को स्वीकार नहीं करते वरना नाराज हो जाते है । क्यों की बाबा ब्रह्माण्ड के राजकुमार है उनके सामने आप किसी सिपाही की आराधना करोगे तो वो कैसे खु:श होंगे , वो नाराज हो जायेंगे ।  ऐसी बहुत सी घटनाओं के माध्यम से हमनें सीखा और जाना की भगवान शिव जितने बड़े सत्य हैं, उतना ही उनके बाल रूप भगवान श्री बटुकभैरवनाथ जी तन्त्र साधना के सबसे बड़े देवता है यह भी अटल सत्य हैं । इनसे तन्त्र में कोई मार्ग बंचित नहीं रहता सभी सिद्धियाँ स्वतः ही धीरे धीरे साधक को पकड़ लेती है । लाखों प्रेत बाबा की अगुवाई करते है ऐसे देवता को छोड़ किसी की साधना की जाय मैं इसकी राय किसी को नहीं देता । समूचा ब्रह्माण्ड जिनके चरणों में उनको छोड़ कोई सुख और कहाँ मिल सकता है । पर एक तांत्रिक होने के नाते मैं किसी को रोकने का अधिकारी नहीं हूँ की आप ये साधना न करो हमसे पूंछोगे तो मैं आपको बताऊंगा । मन में आया तो धीरे धीरे सभी साधनाओं के बारेमें लेख डालूंगा । पर मेरा अनुभव जो कहता है उसके दो चार शब्द प्रगट कर दिया । जय बटुकभैरवनाथ 

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