Friday 5 October 2018

नवमुखी रुद्राक्ष श्रीबटुकभैरवनाथ का स्वरूप है

श्री बटुकभैरवनाथ का साक्षात प्रतिबिम्ब है नव मुखी रुद्राक्ष ।भक्त श्रीबटुकभैरवनाथ जी का प्रिय हो जाता है । मतलब भगवान श्री बटुक भैरवनाथ की असीम छाया उस साधक पे हो जाती है । भैरव साधक और भैरवनाथ की सिद्धि के इच्छुक के लिए यह रुद्राक्ष वरदान के सदृश्य आलोकित होता है । शास्त्र तो इसे साक्षात भैरवनाथ ही मानते है । तन्त्र ग्रंथ कहते है कि नाथ उपासक को इस रुद्राक्ष को अवश्य ही धारण करना चाहिए । इस रुद्राक्ष में बटुक भैरवनाथ या कहें 64 भैरव का वास होता है । इस लिए भैरवनाथ की सिद्धियाँ खिंची चली आती है । स्कन्द पुराण में तो नवमुखी रुद्राक्ष के लिए कहा गया है कि! यह रुद्राक्ष नही साक्षात भैरव (शिव) स्वरूप है । स्कन्द पुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को बांये हाँथ के बाजू में धारण करना चाहिए । और नव मुखी को धारण करने और नाथ साधना करने से शिव के समान बलवान हो जाता है । यहां शिव के समान बलवान का मतलब है! कि,  शिव सिद्धियों के जनक है, तो वह भगवान शिव के फल स्वरूप अनेकों सिद्धियों का स्वामी हो जाता है ।और मृत्यु के बाद शिव लोक को जाता है । कुछ जगहों पे प्रमाण यह भी मिलता है । भगवान भैरवनाथ बाम मार्ग के देवता है इस लिए नवमुखी बांये हाँथ में धारण किया जाता है । नव मुखी सबको नहीं धारण करना चाहिए । जो साधक भगवान श्री बटुक भैरवनाथ या भैरवनाथ के किसी भी रूप की साधना करते है, ये रुद्राक्ष मात्र उनके लिए है । इस रुद्राक्ष के धारण के बाद बाबा की रात्रि उपासना या साधना करना आवस्यक है । अब कुछ लोग कहेंगे कि हम भैरव उपासक या साधक नही है, तो क्या होगा? तो हम नहीं बता सकते क्या होगा । जो बाबा चाहेंगे वही होगा । महिलायें भी धारण कर सकती है, जो श्री बटुकनाथ की साधना करती है । इस रुद्राक्ष को किसी भैरव पीठ पर चढ़ा कर धारण करना चाहिए और किसी जानकार से इसके बारे में सम्यक ज्ञान ले के ही धारण करना चाहिए । इसकी प्रतिष्ठा बाबा श्री बटुकभैरवनाथ के मंत्रों से ही होती है । इस रुद्राक्ष को श्मशान जाकर वहाँ साधना करने से और सिद्ध हो जाता है । ये रुद्राक्ष नही सीधा वरदान है इसमें कोई संसय नहीं है , परन्तु इसे यदि धारण कर रहे है तो जरूर से जरूर किसी भैरव साधक से अवस्य जानकारी ले लें । और अपने बारे में बतायें और नियम जानें कि क्या - क्या है । अब नव मुखी में श्रेष्ठ कौन सा है ये जान लें ! उत्तरी (शिवमुखी) स्थान पे जो पर्वत है वहां के रुद्राक्ष श्रेष्ठ है । जैसे नेपाल हुआ । आज कल इंडोनेशिया से अधिक मात्रा में रुद्राक्ष आते है वह सही नहीं माने जाते । इसके बाद यह देखें कि जो रुद्राक्ष आपको प्राप्त हुआ है क्या वह असली है या नही! आज के समय में प्रत्येक समान में मिलावट या नकली आने लगा है । रुद्राक्ष भी इससे अछूता नहीं है इसमें तो सबसे अधिक नकली आता है । इससे सावधान रहें , नकली होंने पे कोई फल नहीं होगा । और सबसे हास्यपद यह है कि सर्टिफिकेट देते है उसके साथ में , यह सब छलावा है सावधान रहें । बिना किसी जानकार के मंहगे रुद्राक्ष न लें । यदि नव मुखी प्राप्त हो जाये तो सर्व प्रथम उसे शुद्ध गुनगुने सरसों के तेल में डाल दे 24 घंटे के लिए । इसके बाद धुल के प्रतिष्ठा प्रक्रिया प्रारम्भ करें "किसी भी जानकारी के लिए आप ईमेल कर सकते है । (ashwinitiwariy@gmail.com )  जय हो श्री बटुकभैरवनाथ की आपकी सर्वदा जय जय कार हो । जाय बटुकनाथ

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