Saturday, 1 September 2018

श्री कृष्णजन्माष्टमी व्रत निर्णय

श्रीकृष्णजन्माष्टमी निर्णय - 2 सितम्बर 2018 रविवार को है । भगवान का जन्म रात्रि 12 बजे हुआ था । इसी लिए आज भी उसी समय भक्त उनका प्राकट्य उत्सव मनाते है । तंत्र शास्त्र में भगवान के उस जन्म समय को सिद्धियाँ प्राप्त करने का सबसे उत्तम समय कहा जाता है । तन्त्र शास्त्र में इसे कालरात्रि कहते है 12 से 3: 59 तक महारात्रि का ये समय जप हवन का सबसे अच्छा समय होता है । शैव+नाथ धर्मावलम्बि इसी समय को ग्रहण करते है क्यो भगवान शिव भैरव रूप में उस समय साधक के पास भ्रमण करते है । इसी लिए शैव धर्म जन्म बेला को ही ग्रहण करता है । वैष्णव धर्मावलम्बि इन सबको नही मानते वो कोई रात्रि साधना भी नहीं करते तंत्र से दूर रहते है इसी लिए वो उदया तिथि को ग्रहण करते है । जो की इस बार की जन्माष्टमी का विवरण इस प्रकार है - 2 सितम्बर 2018 रविवार उदया सप्तमी है और सप्तमी साम 5:18 पे समाप्त हो रही अष्टमी लग जा रही और दूसरे दिन सोमवार को दोपहर 3: 28 से समाप्त हो रही तो रात्रि 12 बजे रविवार को ही है ।। भगवान का जन्म नक्षत्र रोहिणी था वैसे जन्माष्टमी में नक्षत्र का कोई विशेष प्रभाव नही होता पर फिर भी बात कर लेते है । 2 सितम्बर 2018 रविवार को कृत्तिका नक्षत्र है जो कि देर साम 6:29 पे समाप्त हो रहा फिर रोहिणी लग रहा रोहिणी सोमवार को साम 5:34 पे समाप्त हो रहा । अब तिथि नक्षत्र का निर्णय देखें - 2 सितम्बर 2018 रविवार को ही रात्रि 12 बजे अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र मिल रहा इस लिए शैव+नाथ धर्मावलम्बि 2 सितम्बर को ही जन्माष्टमी मनायेंगे । वैष्णों 3 सितम्बर को मनायेंगे जब कि रात्रि में न अष्टमी है न रोहिणी नक्षत्र पर वैष्णो धर्म मात्र उदया देखता है इस लिए वो 3 सितम्बर को मना रहे । विशेष - 2 सितम्बर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी और भैरवाष्टमी साथ मे है और सबसे बड़ा की रविवार को है रविवार को भैरवाष्टमीव्रत सिद्ध काल हो जाती है उसमें जन्माष्टमी महासिद्ध काल योग बन रहा इस लिए बटुक साधक इसका पूर्ण लाभ उठा सकते है । जय बटुकनाथ

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