श्रावण सप्तमी निर्णय - ४ अगस्त २०१८ को व्रत रहा जायेगा और ५ अगस्त २०१८ को प्रातः ०६:१२ तक अष्टमी है तब तक अर्घ और भेंट दे देना है ।
श्रावण कृष्ण सप्तमी व्रत कैसे रहें - उदया तिथि में सप्तमी होनी चाहिये और उस दिन व्रत का पालन करते हुए स्नान के बाद नीम के पेड़ को प्रणाम करना चाहिए और गुड़ मिश्रित जल वहाँ रख देना चाहिए । (ऐसी मान्यता है कि भगवती माँ शीतला की दो सहेली है फूला और देवका ये दोनों माता रानी का संचालन करती है और भगवती के चढ़े प्रसाद को आकार ग्रहण करती है । तांत्रिक मान्यता है कि जिसके यहाँ अछूत याकहें शुद्ध भोजन या पूजन नही प्राप्त होता उसके यहाँ ये दोनों कुपित हो जाती है और चेचक , सर्प दंश जैसी कुपित दृष्टि प्रदान करती है । इस लिए भगवती की पूजा थोड़ा करिये पर सही से करिये । इस प्रकार पूजन के बाद जब भगवती को अर्घ और प्रसाद दिया जाय तो अष्टमी होनी चाहिए क्यों कि माता रानी की सबसे प्रिय तिथि अष्टमी है । सप्तमी शीतला माता का व्रत है जिसे वंश के लिये रहा जाता है । इसे इसी लिए पुत्रदा व्रत कहा जाता है माँ शीतला को अर्घ और बलि बहुत प्रिय है । बलि का अर्थ - भोजन या आहार होता है और इसी लिए श्रावण कृष्ण सप्तमी में वंश रक्षा के लिए भक्त रूपी स्त्रियाँ भगवती को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के कलश में पल्लव, मीठा जल एवं चतुर्मुखी दीपक प्रदान करती हैं और साथ में पकवान बना कर भगवती को किसी शुद्ध जल वाले स्थान में अर्पित करती है ( पकवान का नियम लोक रीत से अलग - अलग पाया जाता है । इस लिए कोई भी रीत गलत नही है जिसके वंशज जैसी रीत लेके चले आये हों वही वो करें )। यदि कोई स्त्री मासिक धर्म या सूतक काल में है तो किसी स्वगोत्री पुत्रवती स्त्री के हाँथ से भगवती को भेंट प्रदान कर सकती हैं ।
ये व्रत वंश की रक्षा के लिए सभी पुत्रवती स्त्रियों को रहना चाहिये । इसको रहने से भगवती अत्यन्त प्रसन्न होती है । जय माँ शीतला । जय बटुकभैरवनाथ
Thursday, 2 August 2018
शीतला श्रावण सप्तमी व्रत
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