Thursday, 26 July 2018

चन्द्र ग्रहण श्री बटुक साधना

दिनाँक २७-०७-२०१८ शुक्रवार को खग्रास चन्द्र ग्रहण लग रहा है। हम अपने आराध्य  बालरूप श्री बटुक भैरावनाथ जी के साधकों को बता दूं कि यह ग्रहण अत्यन्त महत्वपूर्ण है  भैरव साधना सिद्धि के लिये। बाबा के जिस भी मन्त्र का आप जप कर रहे हो उसी मन्त्र का सुबह से ग्रहण काल तक अधिकाधिक जप करिये फिर घृत से हवन करिये इससे आप अपने आराध्य के सन्निकट पहुँचने लगते है जिसे हम सिद्धि कहते है । कुछ लोग कभी पूजा नहीं करते केवल ग्रहण में कर लेते है और सोचते है सिद्धि हो जायेगी तो ये मात्र भ्रम है और कुछ नही सिद्धि के लिए जिस मन्त्र का आप अधिकाधिक जप करते है उसी के ही अनुष्ठान से कुछ मिल सकता है नहीं तो नहीं ।
मैंने ये भी सुना है कुछ लोग एक भ्रम फैलाते है चारो तरफ की ग्रहण में पूजा नहीं करना चाहिए । तो मैं आपको बता दूं कि उनको अज्ञानी मान कर उनके तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए है । हाँ ग्रहण काल में मूर्ति पूजा नही होती न ही स्पर्श किया जाता है न ही दर्शन पर्दा लगा देना चाहिए नहीं तो मूर्ति प्राण खण्डित हो सकता है । ग्रहण काल में मात्र पाठ, जप, हवन का ही विधान है । ग्रहण काल में कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए नहीं तो आपके शरीर में विकार उत्पन्न होता है । शरीर रोगी हो जाता है। शिशु वृद्ध और रोगी के लिए यह नियम नही है । गर्भ धारण की हुई स्त्री को तो कदाचित कुछ न खाना पीना चाहिए और न ही कोई भी चीज कटनी चाहिये और न ही सोना चाहिए इसका सीधा प्रभाव गर्भ पर पड़ता है ।
विशेष - यह ग्रहण साधकों के लिए अत्यधिक महत्व पूर्ण है । कारण यह है कि यह मध्य रात्रि को पार नही कर रहा और लगभग पूरी मध्य रात्रि का भोग कर रहा है और तन्त्र मान्यता के आधार को देखें तो सिद्धि मध्य रात्रि में ही प्राप्त होती है । दूसरा सबसे बड़ा महत्व की आषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा है । जो कि अपने में स्वयं सिद्ध काल हो गया ।
ग्रहण काल का समय -
स्पर्श          -       रात्रि ११:४५
समील्लन   - मध्यरात्रि १२:५९
मध्य          - मध्यरात्रि ०१:५२
उन्नमीलन   - मध्यरात्रि ०२:४३
मोक्ष          - मध्यरात्रि ०३:४९
ग्रहण काल के आरम्भ में स्नान करके जप करें तदोपरांत हो सके तो घी से हवन फिर स्नान उसके बाद चन्द्रमा को अर्घ दे । श्री बं बटुकभैरवाय नमो नमः

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