Wednesday 3 June 2020

जून 2020 के ग्रहण

आज का हमारा विषय है जून मास में पड़ने वाले ग्रहण। जून मास में कौन से ग्रहण है ? और वो कब  हैं ? उनका आध्यात्मिक महत्व क्या है ? जून मास में दो ग्रहण लग रहे हैं । एक 5 जून 2020 को और दूसरा 21 जून 2020 को लग रहा है । ग्रहण का दो अर्थ है किस वस्तु या जीव को स्विकार करना या किसी को बल स्वरूप पकड़ना,  तो साधक को इस विषय में भी जानना आवश्यक है । क्यों की कथा कथित tv पे फेसबुक पर ज्योतिषियों का वक्तव्य मिल जाता है की इस दिनाँक को ग्रहण है । जिससे साधक भ्रमित हो जाते हैं। अब हम चलते हैं  ग्रहण की तरफ कि क्या है ग्रहण ?पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूम रही है। चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा है। इन गतियों में ऐसा हो जाता है कि चन्द्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने से चन्द्रमा को सूर्य से प्रकाश नहीं मिल पाता और चन्द्रमा पर पृथ्वी की परछाईं पड़ जाती है । और कभी-कभी चन्द्रमा भी सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य का प्रकाश धुंधला पड़ जाता है और चन्द्रमा की परछाईं पृथ्वी पर पड़ने लगती है । इन दोनों परिस्थितियों में  सूर्य की रोशनी धुँधली पड़ने से अमावस्या को सूर्य ग्रहण और चन्द्रमा की रोशनी (पूर्णिमा का) धुँधली पड़ने से चन्द्रग्रहण हो जाता है । चन्द्रग्रहण की अपेक्षा सूर्यग्रहण अधिक होते हैं, लेकिन लोगों को इसके विपरीत ज्ञात होते हैं, क्योंकि चन्द्रग्रहण आधे भूतल से देखा जा सकता है । सूर्यग्रहण बहुत थोड़े स्थानों में दिखाई पड़ता है । इस प्रकार जो ग्रहण लगते है उनका अध्यात्मिक महत्व होता है । इसी प्रकार  चन्द्रमा जब पृथ्वी के हल्के भाग से निकलता है, बिम्ब मात्र रहता है तो उसे पेनुम्ब्रा कहते है। चन्द्रमा जब पेनुम्ब्रा  से होकर निकलता है, तो यह उपच्छाया ग्रहण लगता  है । जिसका अध्यात्मिक कोई भी महत्व नहीं है । न ही इसमें कोई भी ग्रहण में किया जाने वाला कर्मकाण्ड किया जाता है । इसी लिए इस ग्रहण के बारे में पञ्चाङ्ग में कोई विवरण नहीं प्राप्त होता है । 
अध्यात्म में मात्र उसी ग्रहण की मान्यता है जिसे हम अपने नेत्र से देख सकें । यहाँ तक की यदि हमारे शहर या देश में जो ग्रहण न दिखे विदेशों में दिखे और उसका पञ्चाङ्ग विवरण भी प्राप्त हो तो वह ग्रहण भी ग्राह्य नहीं है । 
इस लिए 5 जून 2020 को जो ग्रहण लग रहा यह उपच्छाया चन्द्र ग्रहण है । इसका अध्यात्मिक कोई भी महत्व नहीं है । 
उपच्छाया चन्द्रग्रहण - 
स्पर्श - 11:15 pm
मध्य - 12:54 am
मोक्ष - 02:34 am
इस ग्रहण की कुल अवधि 3:18 मिनट है । 
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सूर्य ग्रहण कब होता है? पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए जब चन्द्रमा काफी दूर निकल जाता है और वह सूर्य के सामने आ जाता है, तो पृथ्वी के कुछ स्थानों पर धुंध सा छा जाता है वह सूर्य ग्रहण है । बहुतायत संख्या में एक प्रश्न लोग पूंछते है कि, खण्ड सूर्य ग्रहण क्या है ? जब चन्द्रमा सूर्य के सामने आता है और वे सीधी रेखा में नहीं आ पता कुछ अंश ही ढंकता है तो उसे खण्ड सूर्य ग्रहण करते है । जब पूरा सूर्य के सामने एक सीधी रेखा में आ जाता है तो उसे पूर्ण ग्रहण या चूड़ी के आकृति का दिखने से वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते है । 

21 जून 2020 रविवार को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य है । और इस ग्रहण की धार्मिक मान्यता भी है । इसका विवरण पञ्चाङ्ग में भी है । 
 अब हम आध्यात्मिक रूप को भी बताते है । एक ज्योतिषी और तान्त्रिक होने की वजह से दोनों भावों को स्पष्ट करना मेरा कर्तव्य है । यदि कोई भी बात छूट जाए तो आप पूंछ सकते हैं । अब हम विषय की तरफ बढ़ते हैं । राहु के द्वारा सूर्य ग्रहण और केतु के द्वारा चन्द्र ग्रहण लगता है । ऐसी धात्मिक मान्यता है और हमें ग्रंथों में प्राप्त भी होता है, यह सत्य भी है । ग्रहण काल में किया जप पुरश्चरण को प्रदान करता है । जिस फल को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति वर्षों मेहनत करता है, वह कुछ घंटों की मेहनत से प्राप्त हो जाता है । इसी लिए तन्त्र में एक गजेश्वर योग बनता है । गजेश्वर आदि शङ्कराचार्य जी ने गणेश जी के लिए कहा है । क्यों की गणेश जी का गज का मुख है और वह बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है । और जल्द ही हर कार्य को करते है । हर कार्य का उनको संक्षिप्त रूप पता है । जैसे उन्हों ने अपने माता पिता यानी भगवान शिव माता पार्वती की परिक्रमा करके पूरे ब्रह्माण्ड के तीर्थ भ्रमण का फल प्राप्त कर लिया । तन्त्र में भी इसी नाम से ग्रहण के लिए भी कहा जाता है की ग्रहण काल में जो जप किया जाता है उस जप से पुरश्चरण का फल प्राप्त हो जाता है । 
 21 जून 2020 को लगने वाला सूर्य ग्रहण तन्त्र साधकों के लिए तो ऐसा है जिसके लिए तान्त्रिक प्रतीक्षा करता है की यह हमें प्राप्त हो । श्री बटुक भैरव या दश विद्या के साधकों के लिए,  यह अमृत कलश के तुल्य है । अब आप क्या करते हो ये आपके गुरु द्वारा जो दिया गया हो उसे सिद्ध करें । वैसे भी  सूर्य ग्रहण में गायत्री या इष्ट का मन्त्र सिद्धि को प्रदान करता है । ये ग्रहण रविवार को लग रहा तो साधकों को हम बताना चाहते हैं की रविवार को जब सूर्य ग्रहण लगता है तो ज्योतिष शास्त्र में इसे चूड़ामणि योग कहते है । ये सिद्धि का भण्डार होता है । तान्त्रिक इस योग के लिए प्रतीक्षारत रहता है । 
 सूर्य ग्रहण में 12 घण्टे पूर्व से ही सूतक काल लग जाता है । 20 जून 2020 की  रात्रि 10:30 pm सूतक लगेगा। सूतक काल से ग्रहण काल तक साधक को खान पान छोड़ देना चाहिए । जप करते रहना चाहिए । बच्चे, रोगी और वृद्ध के लिए छूट है । 
 जब ग्रहण लगे तब स्नान करें फिर जप करें, मोक्ष के कुछ समय पहले पुनः स्नान करके घी से हवन करें । फिर सूर्य अर्घ दें और गेंहूँ के अन्न का दान निकालें और उसे डोम या मेहतर को दान दें ब्राह्मण को भूल से भी न दें । क्यों की ग्रहण का दान ब्राह्मण का नहीं होता । 
 एक प्रमुख बात यह ग्रहण दो रूप में लग रहा पहला कंकडाकृत पूर्ण रूप घं0 4 मि0 12 का होगा वहीं दूसरा रूप खण्ड रूप में है,  कंकड़ाकृत सर्य ग्रहण भारत के उत्तरी भाग में ही दृश्य होगा । और स्थानों खण्ड रूप में मध्य मोक्ष ही दिखेगा ।

कंकड़ाकृत सूर्य ग्रहण काल - 
स्पर्श - 10:30 am
मध्य - 12:17 pm
मोक्ष - 14:04 pm
जिसकी अवधि घं0 4 मि0 12 होगी 

विशेष - जो लोग ग्रहण स्नान करके सूर्य अर्घ नहीं देते शास्त्र कहते है वह अगले सूर्य ग्रहण तक अशुद्ध ही रहते है ।

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