Thursday, 10 September 2020

श्री बटुक भैरवनाथ यन्त्र उपासना महात्म्य भाग 1

 भगवान श्री बटुक भैरवनाथ जी के बारे में समस्त साधक को पता होता है । चराचर ब्रह्माण्ड में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान भोले नाथ के बाल रूप स्वरूप श्री बटुक नाथ जी ही हैं । 

बाबा की साधना में एक अद्भुत अमृत सर का अनुभव होता है ऐसा प्रतीत होता है । सब कुछ इन्ही में है और ब्रह्माण्ड में कुछ है ही नहीं । वास्तविकता में देखें तो यह एक कटुक सत्य है इसमें संदेह नहीं करना चाहिए । बाबा की उपासना और साधना से साधक जीवन के सभी आयामों के साथ भुक्ति मुक्ति प्राप्त करता है । उसे मृत्योपरान्त कैलाश वास मिलता है । भगवान बटुक भैरवनाथ जी के जो साधक है वो इनके बारे में हमेशा जिज्ञासू भाव से जानने का प्रयास ही करते रहते है कि बाबा की साधना में और क्या ऐसा कर दें कि प्रभू की पूर्ण क्षाया हम पर हो जाये । पर दुःख तब होता है जब इतना प्रयत्न के बाद भी कोई जानकारी नहीं प्राप्त होती सामान्य रूप से कुछ मंत्र भोग पाठ ही प्राप्त होता है और हमें वह गूढ़ साधना विधि का परिचय नहीं हो पाता है । वैसे सत्य यह भी है कि बाबा थोड़े में प्रसन्न होते है । अपितु हम अभी भी उस अमृत सुख के स्वाद से वंचित रहते है। सभी गुप्त साधनाओं का कुछ न कुछ मार्ग मिल ही जाता है पर हमारे बाबा अत्यंत गुप्त रूप में रहते हैं ।इस लिए इनकी साधना का वो पड़ाव पाने के लिए भक्त जन्मों जन्म आतुर रहता है । शिव से बड़ा हितकारी और दयालु कोई न है न होगा फिर उनके बाल रूप के बारे में तो कहना ही क्या है।

शिवागम् सार में वर्णित है -

अन्ये देवास्तु कालेन प्रसन्नाः सम्भवन्ति हि । 

वटुकः सेवितः सद्यः प्रसीदति ध्रुवं शिवे ॥६ ॥

अन्य देवता तो बहुत काल तक उपासना करने पर प्रसन्न होते हैं, लेकिन बटुक भैरवनाथ जी साधकों द्वारा अल्पकाल की उपासना से ही प्रसन्न हो जाते है ।

  क्षण मात्र में प्रसन्न होने वाले देवता बटुकनाथ जी जरूर है, पर इनकी साधना अत्यन्त गुप्त है । तंत्र ग्रन्थों में मैने जो पाया उसको प्रमाण मानकर बताता हूँ कि साधक जबतक श्री बटुक भैरव यन्त्र की उपासना नहीं करता तब तक वह श्री बटुकनाथ जी तक नहीं पहुंच पाता और इनका यन्त्र अत्यन्त गोपनीय है । यन्त्र भगवान का भवन और उनका निवास स्थान माना जाता है जिसमें उनके सहचर सभी देवी देवता रहते है । इस लिए यन्त्र पूजा तो सबसे बड़ी होती ही है । वो चाहे किसी की भी क्यों न हो । जिस प्रकार श्री यन्त्र की उपासना से भगवती त्रिपुराम्बा महारानी राजराजेश्वरी प्रसन्न हो जाती है । और उस यन्त्र में वास कर साधक का कल्याण करती हैं। पर उनको रखना सबके वस का नहीं एक साधक ही रख सकता है । व्यक्ति सोचता है श्री यन्त्र को रख लिया अब लक्ष्मी का वास हो जायेगा तो यह एक भ्रम है श्री यन्त्र के प्रत्येक कोण में देवी देवताओं का वास होता है । उनका आवाहन पूजन तर्पण करना होता है । उसी प्रकार श्री बटुक भैरव यन्त्र का भी विधान है और प्रत्येक कोण में प्रतिष्ठा होती है और फिर जा कर भगवान श्री बटुक भैरव नाथ जी का पूर्ण रूप प्राप्त होता है । किसी भी देवता की साधना सिद्ध के लिए यन्त्र उपासना अत्यन्त आवश्यक होती है । यन्त्र की उपासना से समस्त सुख प्राप्त  होता हैं । श्री बटुक भैरवनाथ जी के यन्त्र में क्रमशः 15 भाग में आवरण पूजा होती है । यन्त्र को रखना सरल है । पर जब तक पूर्ण रूप से सेवा न कर सकें तब तक आपके लिए यन्त्र उपासना नहीं है । यन्त्राधिष्ट देवी - देवता को प्रतिदिन सपर्या के पहले उठाना और सपर्या के पश्चात चलित विषर्जन (शयन) कराना आवस्यक है । कहने का सार यह है कि श्री बटुकनाथ जी की उपासना में यन्त्र उपासना अत्यन्त आवश्यक है । नियमानुसार साधक को उसी पे साधना करनी चाहिए । इस यन्त्र की विधि पूर्वक जिस भी घर या देवालय में स्थापित कर सेवा होती है वहां पे क्रूर ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है । प्रेत बाधायें या तो उस स्थान को छोड़ देती हैं नहीं तो दास बन घर वालों की रक्षा करती है । वस्तु दोष कितना भी अधिक हो सब बाबा के प्रभाव से उसका प्रभाव नहीं होता है ।  इस लेख में हम महात्म्य बता रहे आगे के लेख में श्री बटुक यन्त्र की रचना के बारे में बतायेंगे । श्री बटुक भैरव यन्त्र अत्यन्त दुर्लभ यन्त्र है । इस यंत्र की उपासना अपने गुरु के अनुसार ही करनी चाहिए ।

2 comments:

  1. Kafi detail me warnit kiya hai Panditji..🙌🙌

    Agle bhag ki jald hi Apeksha

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  2. अद्भुत गुरुजी,,🙏🙏🙏

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