श्री बटुक साधना में हम आज आपको बाबा के हवन विधि से अवगत कराते है । श्री बटुक भैरव साधना में हवन का सर्वोत्तम स्थान है । बिना हवन बटुक साधना पूर्ण नहीं होती साधनाओं विधि बहुत ही बृहद है उसमें जितना ही जानकारी हो उतना ही कम होता है साधना के मार्ग में कोई पूर्ण नहीं होता परन्तु अपने अध्ययन और अपने अनुभव के आधार पे ही नवीन मार्ग का अवलोकन होता है। इन्ही कारणों से गुरू का होना आवश्यक है और वह गुरू उस मार्ग का जानकार होना अवस्यक है । जिस मार्ग की आप साधना करने जा रहे , क्यों की मात्र अध्ययन से भी काम नहीं चलता उसके लिये अनुभव और प्रयोग किये हुए ज्ञान की सबसे अधिक अवस्यकता है । क्यों की तंत्र एक प्रकार की खोज है जिसमें वैज्ञानिक की भाँति आपको सदैव प्रयोग करते रहना अपने को पूर्ण नहीं मानना है यदि कुछ शक्ति प्राप्त हो रही तो उससे अहम भाव न आने दे और उसके बारे में कदाचित चर्चा न करें । अब अपने मूल विषय श्री बटुक भैरवनाथ जी सम्बन्धित साधना के हवन के बारे में बतायेंगे । आगे बढ़ने से एक जान लें की यह विधि दक्षिण मार्गियों के लिए । स्पष्ट रूप में कहें तो शैवधर्म के नाथ परम्परा के सात्विक मार्ग के बारे में ही बतायेंगे । क्यों की मैंने स्वयं जितनी भी साधना की या कर रहा सब दक्षिण मार्ग से ही है , और मैं बलि प्रथा या कहे तो जीव हत्या का विरोधी हूँ । ग्रंथों में दोनों प्रकार के साधना का विधान है पर दोनों ही मार्गों में एक समता है की ? बटुक भैरवनाथ का सबसे प्रिय मदिरा है । इस लिए मदिरा बाबा को ज़रूर चढ़ती है । । श्री बटुक भैरव हवन बच्चों की और बाबा की पसन्द की सामग्री से की जाती है । वैदिकरिक हवन में काफ़ी भिन्नता है । वैदिक हवन सूर्यास्त के पश्चात् नहीं की जाती जब की तन्त्र मार्ग की हवन २४ घण्टे में कभी भी की जा सकती है , वैसे श्री बटुक जी का सबसे प्रिय समय है रात्रि ९:०० से मध्य रात्रि ३:५९ तक और हवन में यही समय ग्रहण करना चाहिये । यदि ऐसा कोई कारण हो की रात्रि में हवन नहीं कर सकते तब दिन में भी कर सकते हैं ।
हवन के समय काला या लाल वस्त्र ही धारण करना चाहिये। भैरव जी का हवन कुण्ड गोल बनता है , यदि हवन कुण्ड नहीं बना रहे फिर भी कोई बात नहीं वह भी मान्य होता है । कुण्ड या जहाँ हवन करना है या कहें जहाँ अग्नि को स्थापित करना है उस वेदी को गाय के गोबर या मिट्टी से लेपन कर लें उसके पश्चात रोली से दक्षिण से उत्तर की ओर जिह्वा की आकृति बनायें ध्यान रहे जिह्वा का अग्र भाग दक्षिण की ओर रहे । जिह्वा के ऊपर "बं" बीज मन्त्र लिखें , शुद्ध जल से बेल पत्र के द्वारा जिह्वा पे जल छिछकारें और साथ साथ अष्टोत्तर सतनाम का पाठ करते रहे जिसे नहीं आता मूल मात्र को ११ बार पढ़ें उसके बाद लकड़ी रखें , फिर अग्नि प्रज्वलित करें । उसके बाद मिष्ठान और जल से पूजन करें फिर घी से गणेश और माँ गौरी की उसके बाद नव ग्रह की आहुति तत्पश्चात् बटुक गायत्री से आहुति दें फिर साकल से गणेश जी की आहुति दें, उसके बाद दशमहाविद्या की आहुति दें, (जैसे मैं लिख रहा इसी क्रम से आहुति देनी है )दश दिगपाल, कुल देव , स्थान देव, दश भैरव, ६४ योगिनी, ६४ भैरव, ५० क्षेत्रपाल, नव दुर्गा, भगवान विष्णु , भगवान कृष्ण, भगवान शिव, श्री काशी विश्वनाथ, काल भैरव, अष्टभैरव, इष्ट देव, अष्टोत्तरसत्नाम से , मूल मन्त्र से फिर पूरी हवन करें अन्त में पुनः गणेश जी की आहुति दें ।
एक मुख्य बात जो श्रीबटुकनाथ जी को ही अपना सर्वस्व मानते है और श्मसान साधना करना चाहते उनकी हवन विधि और सामग्री में भिन्नता रहेगी । साथ ही साथ एक बात बता दें बाबा को हवन सबसे अधिक प्रिय है । फल, मिष्ठान, भोजन इस प्रकार खाने पीने के प्रत्येक सामग्री से हवन होती है । तांत्रिक विधि के अनुसार बाबा को फीका भोजन नही भाता है ।
इसके अतिरिक्त यदि कोई जानकारी लेनी है तो ashwinitiwariy@gmail.com निम्नांकित मेल पर अपना प्रश्न या विषय भेज सकते या फिर shri batuk bhairav bhakt ग्रुप पे मैसेज भेज सकते है ।
इसके अतिरिक्त यदि कोई जानकारी लेनी है तो ashwinitiwariy@gmail.com निम्नांकित मेल पर अपना प्रश्न या विषय भेज सकते या फिर shri batuk bhairav bhakt ग्रुप पे मैसेज भेज सकते है ।
जय महाकाल,
ReplyDeleteआपसे बात करना चाहते है,
डॉ अजीत शर्मा- 9871946007
जय विश्वनाथ
Deleteजय बटुकनाथ
Email id - ashwinitiwariy@gmail.com
निम्नांकित मेल पर आपको जो भी पूंछना या जानकारी चाहिए आप भेज सकते हो, अपना विवरण और अपना प्रश्न विस्तार से अक्षादित करियेगा की सम्यक प्रकार से प्रश्न समझ सकूं ।
m nirmal shastri aapse baat krna chahta hu
Deleteकाल भैरव हवन विधी बताए please
ReplyDeleteकाल भैरवनाथ जी की हवन श्री बटुक भैरवनाथ जी के ही समतुल्य होती है । बस बटुकभैरवनाथ जी में बच्चों का सामान और मिष्ठान की अधिकता रहती है वैसे दोनों एक ही है । शिव के बाल रूप में बटुकनाथ और वही विराट रूप रखे जब ब्रह्मा जी का पञ्चम शीश धड़ से अलग किये तो काल भैरव हो गए । इस लिए दोनों में कोई भेव नहीं समतुल्य ही रहता है ।
DeleteMuje batuk bahirav ka hwan krna h kaise krna h aur kaun se mantra ki ahuti dene please jankari de. jai baba ki
Deleteकाल भैरव हवन में सामग्री की मात्रा क्या होनी चाहिए कृपा कर के बताए
ReplyDeleteकाल भैरवनाथ जी की हवन श्री बटुक भैरवनाथ जी के ही समतुल्य होती है । बस बटुकभैरवनाथ जी में बच्चों का सामान और मिष्ठान की अधिकता रहती है वैसे दोनों एक ही है । शिव के बाल रूप में बटुकनाथ और वही विराट रूप रखे जब ब्रह्मा जी का पञ्चम शीश धड़ से अलग किये तो काल भैरव हो गए । इस लिए दोनों में कोई भेव नहीं समतुल्य ही रहता है ।
DeleteWhat is the mean of sakal se Ganesh ji ahuti... Kaise de a Wala ahuti
ReplyDeleteहवन में गणेश जी की आहुति 3 बार दी जाती है । प्रथम , मध्य, और अंत में तो घी मिष्ठान या साकल से दे सकते है ।
DeleteHavana Bodhisattva bataye
ReplyDeleteसमझा नहीं आप क्या जानना चाह रहे 🤔
DeleteContact number dijiye
ReplyDeleteमां दुर्गा मां भगवती के हवन में कौनसी अग्नि का वास होता है? भैरव बाबा के हवन में किस अग्नि का वास होता है और सभी देवताओं को जब हवन करते तो उसमें कौनसी अग्नि का वास होता है? और सबसे बड़ा हवन कौन कौन सा है? जिसमें। चैतन्य करने की आवश्यकता नहीं होती। आहुति देते ही वह हो जाते हैं।
ReplyDeleteHawan me lakdi kahe kahe ki.sakla yani til jawa chawal ke alawa aur kya kya hawan samagri me shamil rahega.kripya bataye.
ReplyDeleteविलम्ब से देखा क्षमा करियेगा |
Deleteashwinitiwariy@gmail.com पर संपर्क करें पूर्ण जानकारी मिलेगी
ashwinitiwariy@gmail.com पर संपर्क करें पूर्ण जानकारी मिलेगी
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