यदि आप है धन से परेशान, नही दिख रहा कोई समाधान , करते है बटुक साधना और नही मिल रहा कोई रास्ता तो आओ हम चलते है श्मशानी बटुकनाथ दानी के पास , जो है मात्र एक सहारा और भक्तों को देगा किनारा । वो है शिव का नटखट अवतार इसी लिए भरता है भण्डार। मैं अश्विनी तिवारी नही कह रहा कोई मन गढ़न्त कहानी ये है ग्रन्थों की वाणी । चरा चर ब्रह्माण्डमें सभी देव है दानी पर नही है हमारे बटुकनाथ का कोई शानी क्यों कि बाबा है मेरे महादानी । बाबा के सभी मन्त्र है कल्याणी जपते ही छूट जाती है जन्मों की परेशानी ।
------------*-----------
जैसा कि हमें ज्ञात है की अर्थ न हो तो व्यक्ति का समस्त कार्य बाधित हो जाता है । बिना धन के कोई भी कार्य नही किया जा सकता फिर चाहे वो शिक्षा, दवा, भोजन या भजन धन के अभाव में कुछ भी सम्भव नही और सबसे बड़ी बात की आप बहुत अच्छे हो पर धन नही है तो कोई सम्मान तक नही करता । इस लिए अब हम को बाबा की अर्थ प्राप्ति की साधना बताते है।
जी हाँ आज हम श्री बटुक भक्तों को एक नवीन मार्ग से अवलोकन करायेंगे, कुछ के लिए ये नवीन है तो कुछ के लिये ये पहले से जाना समझा हो सकता है । पर इस मार्ग से भक्त 1000% सन्तुष्ट ही रहा है । जैसा कि आपको ज्ञात है कि श्री बटुक भैरवनाथ जी भगवान सदा शिव के बाल रूप है, शैव सम्प्रदाय धर्म का एक मार्ग है नाथ सम्प्रदाय इस मार्ग में भगवान भैरवनाथ का पूजन होता है । यदि कोई बटुक उपासक है, धन से परेशान है तो उसे भगवान स्वर्णाकर्षण का जाप करना आवस्यक है इससे आपकी पुकार आपके बटुकनाथ तक पहुंच जाती है । यह रूप श्री बटुक भैरव ने इस लिए रखा कि उनके भक्त कभी कष्ट में न रहे । इस रूप में बाबा ने स्वर्ण की आभा युक्त रूप रखा है और मन्दार के पेड़ के नीचे माणिक्य का सिंहासन लगा कर विराजमान है और अपने भक्तों पे धन और स्वर्ण की बरसा सदैव करते रहते है । इसी लिए इस रूप को स्वर्णा कर्षण कहा जाता है । बटुक उपासक विरला होता है। उसका कोई कुछ नही कर सकता और उसको कभी किसी की परवाह नही करनी चाहिए चाहे कोई बड़ाई करे या बुराई सब बाबा पे छोड़ देना चाहिए । कोशिश ये रहे कि लोगो से अलग ही रहो उतना अच्छा ज्यादा अपने बारे में बात न करो, खास कर साधना से सम्बंधित पर हाँ ये कभी न छुपाओ की आप बाबा बटुकनाथ की सेवा करते हो जो पूंछे बता सकते हो, बाबा का जय कारा लगता रहे इससे बाबा बहुत प्रसन्न होते है । यदि कोई बाबा के बारे में उल्टा बोले तो वहाँ से हट जाओ बस इतना कह दो * बाबा आपही देखो* उसके बाद चले जाओ । फिर उसे ब्रह्माण्ड में कोई नही बचा सकता । अब आपको बताते है उस अमोघ मंत्र के बारे में जिसे करने से भक्त धनवान होता है पर ये मंत्र उनपे ही काम करता है जो बटुक उपासक होंगे । स्वर्णाकर्षण भैरव मन्त्र - *ॐ ऐं क्लीं क्लीं क्लूं ह्रां ह्रीं ह्रूं सः वं आपदुद्धारणाय अजामल बद्धाय लोकेश्वराय स्वर्णा कर्षण भैरवाय मम् दारिद्रय विद्वेषणाय ॐ ह्रीं महा भैरवाय नमः ॐ नमः शिवाय* कृष्ण पक्ष की रात्रि व्यापी अष्टमी यानी भैरवाष्टमी से रात्रि व्यापी चतुर्दशी मतलब मासशिवरात्रि तक 11 हजार जप से मंत्र सिध्द होने लगता है फिर उसके बाद जितना अधिक करें उतना अच्छा । वैसे स्वर्णाकर्षण साधना का क्रम बहुत ही बृहद है , तो आगे के लेख में आपको जानकारी प्राप्त होती रहेगी ।। जय बटुकनाथ
No comments:
Post a Comment