प्रत्येक धर्म का यही उद्देश्य होता है कि दैनिक कृत्य या दिनचर्या के साथ साथ ईश्वर की आराधना की जाय और सबकी आराधना का तरीका भी भिन्न है और प्रत्येक धर्म में तीर्थ का मुख्य स्थान है, ईशाई येरुशलम को अपना मुख्य मानते है मुस्लिम मक्का-मदीना को पुनीत या पाक मानते है बौद्ध धर्मावलम्बी लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर की यात्रा करते है और जैन धर्म के लोग गिरिनार और पार्श्वनाथ पर्वत के दर्शनों को पुण्यात्मक मानते है । प्रत्येक धर्म का अपने तीर्थ में विश्वास है की तीर्थयात्रा से पुण्य का लाभ होता है और भगवत कृपा की प्राप्ति होती है अब आती है सनातन धर्म यानी हिन्दू धर्म सबसे प्राचीन धर्म और सबसे ज्यादा मत् भी इसी धर्म में है और सब अलग भी है प्रत्येक धर्म की भाँति हिन्दू धर्म में पूजनीय देवी देवताओं का रूप भी एक नहीं है इस लिए तीर्थो की संख्या भी अधिक है, इनमें से प्रधान तीर्थ तीन है काशी, प्रयाग, गया इसी प्रकार सात पुरी है अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची (काँची पुरम), अवन्तिका ( उज्जैन ), द्वारिकापुरी चारधाम जिनकी यात्रा आदिशंकराचार्य जी महाराज ने हिन्दू धर्म में प्रमुख बताई और वहीँ चार पीठ की स्थापना की पूर्व में जगन्नाथपूरी (गोवर्धनपीठ), पश्चिम में द्वारिकापीठ, उत्तर में बद्रीनाथ ( ज्योतिषपीठ), दक्षिण में श्रृंगेरीपीठ हिन्दू धर्म में इनका अपना माहात्म्य है धार्मिक जीवन में इनका समावेश हो ही जाता है ।
सात्विक जीवन पुण्यमय होता है , तीर्थयात्रा के समय प्रत्येक व्यक्ति सात्विक भाव और सात्विक दिनचर्या में रहता है और रहना भी चाहिए क्यों की तीर्थ यात्रा में जो पुण्य प्राप्त होता है वह बहुत ही दुर्लभ होता है । तीर्थ में सात्विक वास करने का भी माहात्म्य है, जीवन की अन्तिम दिनों में प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है की तीर्थवास मिले और बहुतों को भगवत कृपा से प्राप्त भी होता है, तीर्थ में स्नान, दान, जप, तप, पूजन, भजन का अधिकाधिक फल होता है ।
अगले लेख में हम बात करेंगे आर्य का पश्चिमी सभ्यता का विरोध करना .........
The goal of every religion is that along with daily routine one does the worshiping of God and the ways of worshiping varies as per religion but all of them signify the importance of Holy place. Christian consider Jerusalem as their holy place, for Muslims it is Mecca Madina, for Buddhist it is Lumbini, Bodh gaya, Sarnath, Kushinagar, for followers of Jainism it is Girinar & Parshwanath and hence they travel to these places.
The belief of followers of every religion is that they are blessed after visiting their holy places and the bliss of God is bestowed upon them.
Now let us look upon Hindu religion or the religion which is most ancient in origin and is filled with different believes. Unlike other religions the holy diety is not one and thus there are many religious places and each has its own importance. Among them 3 are main Kashi, Prayaag & Gaya and there are 7 Puri's Ayodhya, Mathura,Haridwar, Kanchi Puram, Awantika,Ujjain and Dwarikapuri. Chardham whose importance is described by Adishankaracharya ji Maharaj they are Jagannathpuri ( Govardhan peeth ) in East, Dwarikapuri in West, Badrinath( Jyoti peeth) in North & Shringari peeth in South. They have immense importance in Hindunism and hence are interwoven in our cultures.
Satvik life is a bliss, while the person is on his way to visit religious places his mind and body follows the path of purity or satvik routine and this is very important as bliss can't be attained easily. Dwelling in the religious place has its own importance and thus everyone wishes to live in such place at the time of end of their lives and few are often blessed to attain it. Bathing,Alms,chants,prayers & Bhajans in such places add to the virtue.
In next prose we'll talk about why do nobles abandon Western culture? ......
No comments:
Post a Comment