Saturday, 3 December 2016

SHRI BATUK BHAIRAV SADHANA ( PART 1 )

श्री बटुक भैरव के पूजन से अरिष्टों का नाश होता है इनकी साधना बहुत ही अलग साधना है ।
साधनाओं को देखे तो बहुत सी साधनायें होती है साधनाओं के 2 प्रकार होते है  1- दक्षिण मार्गी (सात्विक मार्ग )2 - बाम मार्गी (तामसिक मार्ग जिसमे देव साधना एवं प्रेत साधना दोनो आती है ) सर्व प्रथम गुरु का चयन किया जाता गुरु जिस मार्ग से होता है उसी मार्ग से साधना की जाती है , मात्र गुरु के होने से ही समस्त कार्य नहीं सिद्ध होंगे आप जिस मार्ग की साधना के इच्छुक है क्या आपका गुरु उस मार्ग का है ये बहुत जरुरी है तभी आपकी साधना सिद्ध होगी ये भी जरुरी है कि आपके गुरु के पास कोई देव सिद्धि हो या किसी देवी देवता का पुरश्चरण हो यदि गुरु का मार्ग भी देखिये की आपको दक्षिण मार्गी करनी हो तो सात्विक हो आपको बाम मार्गी साधना करनी है तो गुरु बाममार्गी हो गुरु से साधना पे बहुत प्रभाव पड़ता है । फिर साधना में भटकाव बहुत तेज आता है जब आप साधना कर रहे हो उस समय कोई ऐसा व्यक्ति जरूर मिल जाता है जो कहेगा कहाँ समय ख़राब कर रहे हो इससे कुछ नहीं होता दुनिया कितना आगे निकल गई तुम अभी इन सबके चक्कर में फसे हो कितने लोग इस बात को सोचने लगते है ठहराव आ जाता है यदि आगे बढ़ गए है तो फिर ऊबन होने लगती है व्याकुलता घेरती है इसी में ज्यादातर लोग साधना बदल देते है या छोड़ देते है । साधक को साधना साधने के लिए मन मस्तिष्क पे विजय प्राप्त करना होता है सारे कार्य अवरोधित होने रहे पर उन्हें साधना मार्ग प्रसस्त करते हुए अग्रसर होना पड़ेगा अन्यथा साधना के मध्य अनेकों रुकावटें आती है आपके दैनिक कृत्य भी सही से नहीं चल पाते साधनायें स्वतः परीक्षा लेती है जब सब कुछ भूल कर व्यक्ति लगा होता है तब विजय प्राप्त करता है यदि आप मात्र गृहस्त सुख के लिए साधना कर रहे तो अधिक अन्दर प्रवेश नहीं करना चाहिए एक संकल्प लीजिये और निश्चित सीमा तक साधना करिये फिर दैनिक पूजन करते रहिए । और यदि आप साधना सिद्धि के लिए लालायित है तो आपको कड़ी मेहनत की जरुरत है अपनी सोच को मजबूत करके लगे रहिये क्यों की एक मान्यता है जितनी ज्यादा सोच होगी और अपनी सोच पे विश्वास होगा उतना ही मिलेगा (विश्वासम् फल दायकं) यदि आप इस सोच से है तो हम आपके साथ है फिर आपको श्री बटुक भैरव ( शिव ) या देवी साधना करनी है तो हम साथ है  क्यों की इनकी साधनायें रात्रि काल में ही होती है लगभग एक जैसी है इन साधनाओं में कुछ मिलने के बाद चमत्कार के लिए लोग प्रेत साधना करते है वैसे ये गलत है नहीं करना चाहिए इससे देव शक्तियाँ रुष्ट होने लगती है और आपके लिए एक ऐसा समय चालू हो जाता है जिसकी आपने कभी कल्पना भी न की हो और यदि प्रेत साधना करनी है तो उसकी नियमा वली कुछ अलग है   ..... अगले लेख में चर्चा करते है प्रेत साधना पे ,
The worshiping of Shri Batuk Bhairava makes oneself free from all evils,negative energies or ghosts.
If one looks at a glance on the types of sadhana  then there are 2 main types of sadhanas: 1. Dakshin Margi also known as Satvik path in which we only do worshiping of God. 2. Baam Margi or Tamsik  path which envolves the worship of God or a  Ghost. The primary step to start a sadhana is the selection of a Guru (teacher). The path which the Guru follows one has to follow the same one. Then  even after the choice of guru sadhana can't be achieved if there is a conflict of the path which one wants to follow and the choice of guru. If you want to follow Dakshin marg or path then guru should be satvik and if Baam marg then he should also be Baam margi this step has a keen effect on sadhana.  It is also necessary that your Guru has the Siddhi (super natural powers or energies gained after sadhana)  of some God or Goddess. After one starts his way towards sadhana then there are many obstacles  in this path, atheist would often call it as a waste of time in this developing world. In many cases one gets stuck between such ideas and end up with nothing, even if the person has moved few stairs up the ideas of such people cause anxiety and people often get bored and end up in sadhana or start doing some new sadhana with the greed of getting early siddhi. To achieve Siddhi in the sadhana one has to win the control over his  mind. During the period of sadhana there will be hinderances in all the work which one does, there are the tests wich are taken by the sadhna or the power itself, even the daliy routine will not continue flawless. If one continues to step ahead with full dedication then only siddhi can be achieved. If one is trying to do sadhana only for attaining glory then one should not enter very deep into it, one has to set a limited goal and do only that much alog with daily worship. But to obtain a siddhi then one has to do unlimited efforts with strong dedication and believe because according to a saying 'the  greater believe you have to obtain your desire  the more you get' . If you are of this thought then I am with you to help in sadhana of Batuk Bhairav (Shiva) or  goddess (Shakti). Since their sadhana is done at night thus they are more or less similar. After achieving something in these sadhana people often start doing the sadhana of Ghost to do miracle but it is wrong one should not do it, the God becomes angry and the debacle of one's life starts , hence to worship a Ghost there are different rules and steps.
So in next article I will discuss about the worshiping of Ghost or Pret sadhana.

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