Friday, 9 December 2016

Towards Moksh

मोक्ष की ओर

मानव प्राचीन समय
से भिन्न भिन्न धर्म परम्पराओं को अपने जीवन में लक्ष्य के रूप में विचार करते आये है , और देश काल के अनुसार इनमें परिवर्तन भी होते रहे है और जो परिवर्तन हुए, वही विभिन्न सम्प्रदाय बन गए ।
किन्तु समस्त सम्प्रदाय अपने बनाये गए महापुरुषों के सत् मार्ग पे ही ले जाते है  सबसे प्राचीन वैदिक धर्म के अनुसार धर्म , अर्थ, काम, मोक्ष ये जीवन के चार लक्ष्य है इन्हें पुरुषार्थ चतुष्टय भी कहा जाता है । जिसमें मोक्ष सबका लक्ष्य होता है और धर्म, अर्थ, काम ये चार सीढ़ियाँ है जिनके माध्यम से व्यक्ति मोक्ष तक पहुँचता है धर्म के बिना सब व्यर्थ होता है "धर्मो विश्वष्य जगता प्रतिष्ठा " चरा चर ब्रह्माण्ड में जो कुछ होता है वो धर्म ही करता है धर्म के बिना सात्विक कर्म की प्राप्ति सम्भव नहीं और बिना धर्म अर्थ के सात्विक कामनाओं की पूर्ति सम्भव नहीं रही मोक्ष की कामना तो वो सर्वोच्च स्थिति है ।
सरल बनने का सत मार्ग धर्म है शारीरिक, वाचिक, कौटुम्बिक, सामाजिक, वैधानिक, नैतिक नियम पर चलना धर्म है और इनकी अवहेलना अधर्म है ।
धर्म का चिन्ह नन्दी बैल है शिव मतलब कल्याण होता है  नन्दी बैल जिसपर भगवन शिव बैठते है तो इससे यह सिद्ध होता है कि ' धर्म करोगे तो कल्याण सम्भव है । पर मोक्ष बहुत ही दुर्लभ प्राप्ति है क्यों की देश काल के अनुसार नियम बदलते रहते है गृहस्थ आश्रम का पालन करते हुए सात्विक जीवन यापन सफलताओं की आधारशिला है , पर इतने से मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी,  इसके साथ साथ देव आश्रम में प्रवेश करना होता है और भगवत कृपा प्राप्त करने का प्रयत्न करना होता है पूजन, वेद पाठ, हवन, भजन, तीर्थ यात्रा, गंगा स्नान ही सुलभ मोक्ष मार्ग है ।


Towards Moksh
From the primeval times humans had the quest for adopting different religious cultures as a part of their life and as the history depicts these reformations  lead to formation of different religious groups.
But all the religions direct us to the path guided by their ordained religious leaders. The most primeal Vedic religion entitles 'Dharma -Righteousness,virtuous', 'Artha- Wealth,material prosperity', 'Kaam- sensuality,emotional fulfilment' and 'Moksha - emancipation as the 4 goals of human life  which are mentioned as " Purusharth Chatushtay" in Veda's. Among them Emancipation or Moksh is the ultimate goal and the Dharma,Artha and Kaam are the stairs to Moksh. Without Dharma every effort goes in vain. The Veda quotes this as ' Dharmo Vishwashya Jagta Pratishtha'. All the eventualities in this world are the outcomes of Dharma ' without which one cannot achieve Karma'. Without being virtuous one can't even achieve emotional fulfilment then aiming for Emancipation or Oneness with God is immpossible.
To direct oneself towards a simple and pure soul one has to follow Dharma. The path which guides towards purity of health, verbal purity, purity of mind in relationships, purity of action or deeds and purity in social aspects is Dharma and contradicting these virtues is Adharma. Dharma is symbol of bull and Bliss is Shiva, lord Shiva himself is potrayed sitting on Bull this depicts that only after following path of Dharma, Moksha can be procured. But attaining Moksh is very difficult because the cultures are transient and they opt mere changes after a period of 5 decads. While residing at home if one opts the path of simplicity with good deeds and thoughts then it is a bliss of success in path of Dharma. But mere following it Moksh can't be acquired along with it  one should enter the room of worshiping God and try obtain his Blessing  by Worshiping him,Veda path, Hawan,Bathe in Ganga,
visiting religious places and listening or singing Spiritual songs.  

3 comments: