प्रकृति के काल चक्र में आज का भी समय चल रहा प्रत्येक व्यक्ति भौतिकता को ही मुख्य आधार मान कर चल रहा अपने वास्तविक परिवेश को विषमृत हो जा रहा भौतिक युग में भौतिकता को अपनाना कोई गलत नही परन्तु अपने मूल को भी पहचानना बहुत ही आवश्यक है । धर्म तर्क नहीं आस्था का विषय इसे किसी पे थोपा नहीं जा सकता । परन्तु आज धर्म का पालन करना मात्र कल्पना हो गया आज के पढ़े लिखे लोगों से धर्म के लिए पूंछा जाय तो अनपढों की भाँति वेद और धर्म शास्त्रों पर तर्क करते है ऐसे लोगों के लिए शास्त्रों में लिखा है कि उनसे तर्क न करें उन्हें छोड़ दे खास कर द्विजों के लिये है कि वो तो पूर्ण रूप से पतन का मार्ग प्रशस्त कर रहे इस लिए विद्वत जन उनसे दूर हो जायें तर्क न करें ।
योsवमन्येत ते मूले हेतुशास्त्राश्रयाद्विजः।
स साधुभिर्बहिष्कार्यो नास्तिको वेदनिन्दकः।।
अर्थात् - जो द्विज ( ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ) दोनों धर्म के मूलों ( वेद, धर्मशास्त्र ) पर तर्क करे अपमान करे वह नास्तिक और वेद निन्दक है साधु जनों को उसका त्याग कर देना चाहिए ।
Friday, 25 August 2017
धर्मपर तर्क करने वाले से बहस नही करना चाहिए उन्हें छोड़ दे ,
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment