Sunday 27 August 2017

व्यक्ति आयु से नही ज्ञान से बड़ा होता है

किसी भी व्यक्ति का बाल पका हो अवस्था हो गई हो, पढ़ा लिखा न हो या पढ़ा लिखा हो कर भी दूसरे का देख कर ही कार्य करे। विवेक का प्रयोग न करे तो वह बड़ा नहीं होता उसकी सलाह से नहीं चलना चाहिए । आयु में कम हो पढ़ा लिखा हो विवेक का प्रयोग करता हो मात्र दूसरों को न देखे अपने विवेक से निर्णय ले ऐसा व्यक्ति कम आयु का हो, तरुण अवस्था में भी हो तो उसे देवता भी वृद्ध मानते है । "दूसरों को देखने का हमारा भावार्थ ये नहीं कि दूसरों को नही देखना चाहिए या उनसे सीखना नही चाहिए । हमारा कहने का अभिप्राय है कि अनुभव लेना चाहिए ये बुद्धिमान का धर्म है । पर उसमें भविष्य को लेकर समझने की क्षमता हो कि इसका भविष्य में क्या फल होगा, मात्र वर्तमान और भूत में बीती बातों को ही प्रमाण मानें तो वह सम्मानित व्यक्ति नही क्यों कि वह अपने साथ दूसरों का भी भविष्य अन्धकार में ले जाता है" ।
ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य कुल में जन्म लेने से भी कोई बड़ा नही होता बिना ज्ञान के वो मूर्ख ही होता है । जैसे ब्राह्मण को ज्ञान के लिए जाना जाता है , इस लिए ब्राह्मण के अन्दर प्रत्येक प्रकार का ज्ञान आवश्यक है । उसमें मुख्य रूप से श्रुति यानी वेद का ज्ञान, देवी देवताओं के पूजन का और यज्ञ का इसके साथ साथ वर्तमान समय में चल रही स्थिति के अनुसार हर क्षेत्र का ज्ञान जरूरी है । यदि ऐसा नहीं है तो वह नाम के लिए ब्राह्मण है । जैसे काठ का हाँथी और मृत चर्म का हिरण । इस लिए सबसे बड़ा ज्ञान है । इस बात को शास्त्रों ने इस प्रकार कहा-
न तेन बृद्धो भवति येनास्य पलितं शिरः ।
यो वै युवाप्यधीयानस्तं देवा स्थविरं विदुः ।।
यथा काष्ठमयो हस्ती यथा चर्ममयो मृगः।
यश्च विप्रोsनधीयानस्त्रयस्ते नाम बिभ्रति।।
अर्थात - सिरके बाल सफेद होने से कोई बड़ा नही होता ।  जिसकी अभी कम युवा है, जवान है, तरुण अवस्था में पढ़ा लिखा हो उसे देवता भी वृद्ध समझते हैं।।
काठ का हांथी, चमड़े का हिरण और बिना पढ़ा ब्राह्मण ये तीनो केवल नाम ही धारण करते है इन्हें केवल नाम के लिए बुलाया जा सकता है , कि ये हांथी है ये मृग है ये ब्राह्मण है । पर उनका अस्तित्व नही के बराबर ही होता है ।

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